हम चाहते हैं कि भारत से असत्य का अंधकार दूर हो। यह काम बातों से नहीं होगा, इसके लिए तपस्या/साधना करनी होगी। परमात्मा के अनंत ज्योतिर्मय अखंड रूप का ध्यान करते हुए उनकी शक्तियों को इस धरा पर अवतरित करना होगा। हमें स्वयं में देवत्व जागृत करना पड़ेगा।
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कीटक नाम का एक साधारण सा कीड़ा भँवरे से डर कर कमल के फूल में छिप जाता है, और भँवरे का ध्यान करते करते स्वयं भी भँवरा ही बन जाता है। वैसे ही हम भी निरंतर परमशिव का ध्यान करते-करते स्वयं परमशिव बन जाते हैं। परमात्मा के लिये एक बेचैनी, तड़प और घनीभूत प्यास बनाये रखें।
ॐ तत्सत् !!
७ सितंबर २०२२
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