Saturday, 5 April 2025

खुद की कमी दूर करने का प्रयास हम करें, और भगवान पर दोष न डालें ---

आत्म-विश्लेषण --- सत्य तो यह है कि अपनी कमियों को तो हम दूर नहीं कर पाते, और सारा दोष भगवान को दे रहे हैं। कहते हैं कि "भगवान की मर्जी"। खुद की कमी दूर करने का प्रयास हम करें, और भगवान पर दोष न डालें। यह बात मैं स्वयं के लिए ही नहीं कह रहा, सभी के लिए कह रहा हूँ।

हम धर्म का आचरण करेंगे, तभी धर्म की रक्षा होगी, और तभी धर्म हमारी रक्षा करेगा| धर्म के आचरण से ही जीवन में हमारा सर्वतोमुखी विकास, और सब तरह के दुःखों से मुक्ति होगी| धर्म क्या है और इसका पालन कैसे हो, इसे महाभारत, रामायण, भागवत, मनुस्मृति, आदि ग्रन्थों व श्रुतियों में बड़े विस्तार से और स्पष्ट रूप से समझाया गया है| आवश्यकता धर्मग्रंथों के स्वाध्याय, और परमात्मा के ध्यान की है| गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने तो इतना भी कहा है कि स्वधर्म का थोड़ा-बहुत पालन भी इस संसार के महाभय से हमारी रक्षा करेगा|

लौकिक रूप से हमें यह प्रयास करते रहना चाहिए कि भारत की प्राचीन शिक्षा और कृषि व्यवस्था फिर से जीवित हो| मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर उन्हें धर्माचार्यों की एक प्रबन्धक समिति को सौंपा जाये जो यह सुनिश्चित करे कि मंदिरों के धन का उपयोग सिर्फ सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में ही हो| सनातन हिन्दू धर्म विरोधी जितने भी प्रावधान भारत के संविधान में हैं, उन्हें हटाया जाये| हम सत्य सनातन धर्म की निरंतर रक्षा करें| ५ अप्रेल २०२१

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