Sunday, 7 November 2021

'स्वार्थ' और 'परमार्थ' इन दोनों शब्दों में आध्यात्मिक रूप से कोई अंतर नहीं है ---

'स्वार्थ' और 'परमार्थ' इन दोनों शब्दों में आध्यात्मिक रूप से कोई अंतर नहीं है| 'स्व' क्या है? और 'परम' क्या है? ये दोनों शब्द पारब्रह्म परमात्मा का संकेत करते हैं| हम यह देह नहीं, शाश्वत आत्मा, आत्म-तत्व ... स्वयं परमात्मा हैं। पूर्ण प्रेम से उन्हीं का ध्यान और उपासना करें|
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ध्यान-साधना ... अपनी भावना में इस देह के ब्रह्मरंध्र से बाहर रहकर करने का अभ्यास करें| परमात्मा की अनंतता का ध्यान करें| यह भाव रखें कि यह समस्त अनंतता ही 'मैं' हूँ, यह नश्वर देह नहीं| जब यह भाव गहरा हो जाएगा, तब उस अनंतता से परे एक परम ज्योति का आभास होने लगेगा| उस परम ज्योति को ही समर्पित होने की साधना करें| वह परम ज्योति ही कूटस्थ आत्म-तत्व यानि हम हैं, यह नश्वर देह नहीं|

ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
८ नवंबर २०२०

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