Thursday 10 June 2021

झूठे वैराग्य और झूठी भक्ति का ढोंग, हमें भगवान से दूर करता है ---

झूठे वैराग्य और झूठी भक्ति का ढोंग, हमें भगवान से दूर करता है ---
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अपने शब्दों या अभिनय के द्वारा एक झूठे वैराग्य और झूठी भक्ति का प्रदर्शन -- सबसे बड़ा छल और धोखा है, जो हम स्वयं के साथ करते हैं। यह छल हमें भगवान से दूर करता है। हम किसी को प्रभावित करने के लिए दिखावा करते हैं, यह एक बहुत बड़ा और छिपा हुआ दुःखदायी अहंकार है। किसी को प्रभावित करने से क्या मिलेगा? कुछ भी नहीं, सिर्फ अहंकार की ही तृप्ति होगी। महत्वपूर्ण हम नहीं, भगवान हैं, जो हमारे ह्रदय में हैं।
हम अपने रूप, गुण, धन, विद्या, बल, पद, यौवन और व्यक्तित्व का भी बहुत अधिक दिखावा कर के दूसरों को हीन और स्वयं को श्रेष्ठ सिद्ध करना चाहते हैं। यह भी स्वयं को ही धोखा देना है।
यह अहंकार भगवान के अनुग्रह से ही दूर हो सकता है, अन्य कोई उपाय नहीं है। इसके लिए हमें भगवान से प्रार्थना करनी पड़ेगी जिससे वे करुणावश द्रवित होकर किसी न किसी के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करें। फिर अभ्यास द्वारा हमें अंतर्मुखी भी होना पड़ेगा। परमात्मा की ही कृपा से हमें उनकी अनुभूतियाँ भी होंगी और हम अहंकार मुक्त हो सकेंगे।
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
१० जून २०२१

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