Friday 3 November 2017

गिद्ध दृष्टी .....

गिद्ध दृष्टी .....
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बहुत अधिक ऊँचाई पर उड़ता हुआ गिद्ध जब अपनी गिद्ध-दृष्टी से भूमि पर पड़ी हुई मृत लाश को देखता है तो उस पर टूट पड़ता है, वैसे ही मनुष्य का मन भी एक गिद्ध है, जो विषय-वासनाओं का चिंतन करते हुए अपनी गिद्ध-दृष्टी से उनकी पूर्ति के अवसर ढूँढ़ता रहता है और अवसर मिलते ही उन पर टूट पड़ता है|
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ऐसे ही कई लोगों की गिद्ध-दृष्टी होती है जो दूसरों से घूस लेने, दूसरों को ठगने व लूटने को लालायित रहते हैं| ऐसे लोग बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं पर अन्दर उनके कूट कूट कर लालच व कुटिलता भरी रहती है|
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हे प्रभु, हम अपने विचारों के प्रति सदा सजग रहें और निरंतर आपकी चेतना में रहें| सब तरह के कुसंग, बुरे विचारों और प्रलोभनों से हमारी रक्षा करो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

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