Wednesday 9 August 2017

ब्रह्म मुहूर्त में ब्रह्मचिन्तन ही करना चाहिए, शयन नहीं ....

ब्रह्म मुहूर्त में ब्रह्मचिन्तन ही करना चाहिए, शयन नहीं|
उठते ही अनुभूति करें कि माँ भगवती की गोद में सो रहे थे, बिस्तर पर नहीं|
उठते ही एक गहरी साँस लें और पूरी देह को चार-पाँच क्षणों के लिए तनावयुक्त कर के तनावमुक्त कर लें| शरीर के किसी भी अंग में कोई तनाव न रहे|
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह कर के पद्मासन या सिद्धासन या सुखासन में बैठ जाएँ| अपने इष्ट देव को मानसिक प्रणाम करें|
अपना प्रिय कोई भजन मानसिक रूप से गाएँ जिससे भक्ति भाव जागृत हो|
कुछ देर तक अजपा-जप करें|
कुछ देर बंद कानों से जो ध्वनि सुनाई देती है, उसे सुनें| उसके साथ ओंकार का मानसिक जप करें|
उषः पान (रात्रि को ताम्बे के पात्र में रखा जलपान) करें| फिर शौचादि से निवृत होकर, स्नान कर के संध्या कर्म करें|
पूरे दिन परमात्मा को अपनी स्मृति में रखें|
ॐ तत्सत् | ॐ ॐ ॐ ||

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