हम स्वयं इतने ज्योतिर्मय बनें कि
हमारे समक्ष कोई असत्य और अंधकार टिक ही नहीं सके .....
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भगवान भुवन भास्कर जब अपने पथ पर अग्रसर होते हैं तब मार्ग में कहीं भी कैसे भी तिमिर का कोई अवशेष मात्र भी नहीं मिलता| हम भी ब्रह्मतेज से युक्त होकर इतने ज्योतिर्मय बनें कि हमारे मार्ग में हमारे समक्ष भी कहीं कोई अन्धकार और असत्य की शक्ति टिक ही न सके| हमारे जीवन का केंद्र बिंदु परमात्मा बने, और परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हम में हो|
ॐ तत्सत | ॐ ॐ ॐ ||
हमारे समक्ष कोई असत्य और अंधकार टिक ही नहीं सके .....
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भगवान भुवन भास्कर जब अपने पथ पर अग्रसर होते हैं तब मार्ग में कहीं भी कैसे भी तिमिर का कोई अवशेष मात्र भी नहीं मिलता| हम भी ब्रह्मतेज से युक्त होकर इतने ज्योतिर्मय बनें कि हमारे मार्ग में हमारे समक्ष भी कहीं कोई अन्धकार और असत्य की शक्ति टिक ही न सके| हमारे जीवन का केंद्र बिंदु परमात्मा बने, और परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हम में हो|
ॐ तत्सत | ॐ ॐ ॐ ||
येषां न विद्या न तपो न दानं न ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः |
ReplyDeleteते मृत्युलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ||
जिनमें विद्या, तप, दान, ज्ञान, सदाचार, गुण तथा धर्म नहीं है, वे इस भूमि पर भार और मनुष्य रूप में मृग (पशु) की तरह ही चर रहे हैं|