Sunday 26 February 2017

हम स्वयं इतने ज्योतिर्मय बनें कि हमारे समक्ष कोई असत्य और अंधकार टिक ही नहीं सके .....

हम स्वयं इतने ज्योतिर्मय बनें कि
हमारे समक्ष कोई असत्य और अंधकार टिक ही नहीं सके .....
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भगवान भुवन भास्कर जब अपने पथ पर अग्रसर होते हैं तब मार्ग में कहीं भी कैसे भी तिमिर का कोई अवशेष मात्र भी नहीं मिलता| हम भी ब्रह्मतेज से युक्त होकर इतने ज्योतिर्मय बनें कि हमारे मार्ग में हमारे समक्ष भी कहीं कोई अन्धकार और असत्य की शक्ति टिक ही न सके| हमारे जीवन का केंद्र बिंदु परमात्मा बने, और परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति हम में हो|
ॐ तत्सत | ॐ ॐ ॐ ||

1 comment:

  1. येषां न विद्या न तपो न दानं न ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः |
    ते मृत्युलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ||
    जिनमें विद्या, तप, दान, ज्ञान, सदाचार, गुण तथा धर्म नहीं है, वे इस भूमि पर भार और मनुष्य रूप में मृग (पशु) की तरह ही चर रहे हैं|

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