हमारी आध्यात्मिक साधना का एकमात्र उद्देश्य -- धर्म की संस्थापना है, अन्य कुछ भी नहीं। ईश्वर भी अवतार लेते हैं तो धर्म की संस्थापना के लिए ही लेते हैं। हम शाश्वत आत्मा हैं, जिसका स्वधर्म -- निज जीवन में परमात्मा की पूर्ण अभिव्यक्ति है। उसी के लिए हम साधना करते हैं। परमात्मा तो हमें सदा से ही प्राप्त हैं, लेकिन माया का एक आवरण हमें परमात्मा का बोध नहीं होने देता। जब उस आवरण को हटाने का प्रयास करते हैं तो कोई न कोई विक्षेप सामने आ जाता है। इस आवरण और विक्षेप से मुक्त हुए बिना परमात्मा का बोध नहीं होता। माया के इस आवरण और विक्षेप को हटाना ही ईश्वर की प्राप्ति है। निज जीवन में यही धर्म की संस्थापना है। अवतृत होकर ईश्वर इस कार्य को एक विराट स्तर पर करते हैं। यहाँ मैं गीता के पाँच श्लोक उद्धृत कर रहा हूँ, जो हरिःकृपा से इस विषय को समझाने के लिए पर्याप्त हैं ---
Friday, 29 August 2025
हमारी आध्यात्मिक साधना का एकमात्र उद्देश्य -- धर्म की संस्थापना है, अन्य कुछ भी नहीं।
परमात्मा से अनुराग ---
परमात्मा से अनुराग ---
"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा।"
"कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा।"
गणेश चतुर्थी के दिन आज भगवान श्रीगणेश का आदेश है कि अवशिष्ट जीवन भूमा के ध्यान में ही बिताया जाये ---
गणेश चतुर्थी के दिन आज भगवान श्रीगणेश का आदेश है कि अवशिष्ट जीवन भूमा के ध्यान में ही बिताया जाये। साकार और निराकार में कोई भेद नहीं है। दोनों अन्तर्मन की अवस्थाएँ हैं। ओंकार रूप में जो परमात्मा हैं, उन्हीं का साकार रूप श्रीगणेश हैं। पञ्चप्राण उनके गण हैं जिनके वे गणपति हैं। पञ्चप्राणों के पाँच सौम्य, और पाँच उग्र रूप -- दस महाविद्याएँ हैं।
Thursday, 28 August 2025
"मैं" स्वयं ही ऊर्जा हूँ ---
आज प्रातः भोर में तीन बजे के लगभग मैं सो रहा था, तब सूक्ष्म जगत में एक ज्योति मेरे समक्ष प्रकट हुई जिसने तुरंत ही नींद से और बिस्तर से उठा दिया। स्वभाविक रूप से हो रहा मेरा अजपा-जप आरंभ हो गया, और मैं सीधा बैठ गया। एक Oscillator की तरह मेरी सूक्ष्म देह के समक्ष उसका Oscillation पूरी सृष्टि को स्पंदित और क्रियाशील कर रहा था। मैंने उससे पूछा कि तुम्हें ऊर्जा कहाँ से मिलती है? उसने कहा कि मैं स्वयं ही ऊर्जा हूँ। वह ज्योति सूक्ष्म देह के सहस्त्रारचक्र में प्रवेश कर गई और लुप्त हो गई। उस ज्योति का प्राकट्य एक पाठ पढ़ा गया। मेरे लिए यह एक महत्वहीन सामान्य घटना थी, लेकिन फिर भी उसे स्वयं के लाभार्थ ही यहाँ लिख लिया है। थोड़ी देर में बात आयी-गयी हो जाएगी और मैं इसे भूल जाऊंगा। २९ अगस्त २०२२
Wednesday, 27 August 2025
आज की अधिकांश मनुष्यता - "कचरा" मनुष्यता है ---
आज की अधिकांश मनुष्यता - "कचरा" मनुष्यता है ---
Tuesday, 26 August 2025
रक्षा-बंधन, रक्षा-सूत्र, भगवा-ध्वज और श्रावण-पूर्णिमा .....
रक्षा-बंधन, रक्षा-सूत्र, भगवा-ध्वज और श्रावण-पूर्णिमा .....
भगवान की भक्ति में आनंद क्यों और कैसे प्राप्त होता है? ---
भगवान की भक्ति में आनंद क्यों और कैसे प्राप्त होता है? ---
Sunday, 24 August 2025
जो कुछ भी भगवान का है उस पर हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है ---





२४ अगस्त २०२५
मेरे परिचित और अपरिचित सभी जैन समाज को "मिच्छामी दुक्कड़म्" ---
मेरे परिचित और अपरिचित सभी जैन समाज को "मिच्छामी दुक्कड़म्" ---
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि ---
यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि ---
Saturday, 23 August 2025
कुंडलिनी महाशक्ति का ही साकार रूप भगवती श्रीललितामहात्रिपुरसुंदरी हैं। वे ही श्रीविद्या हैं ---
कुंडलिनी महाशक्ति का ही साकार रूप भगवती श्रीललितामहात्रिपुरसुंदरी हैं। वे ही श्रीविद्या हैं ---
ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी की ग्यारहवीं पुण्यतिथि पर उनको नमन ---
ब्रह्मलीन स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी की ग्यारहवीं पुण्यतिथि पर उनको नमन! उनके प्रभाव से ओडिशा के वनवासी क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों द्वारा किये जा रहे धर्मान्तरण के कार्य लगभग बंद होने लगे थे| ईसाई बन चुके वनवासियों की सनातन हिन्दू धर्म में बापसी आरम्भ हो गयी थी| इस से बौखला कर कुछ धर्मद्रोहियों ने आज से दस वर्ष पूर्व २३ अगस्त २००८ को उनकी निर्मम ह्त्या कर दी| पहले उन्हें गोली मारी गयी फिर कुल्हाड़े से उनके शरीर को कई टुकड़ों में काट डाला गया| उस क्षेत्र के लोग कहते हैं कि उनकी ह्त्या मिशनरियों ने नक्सलवादियों के साथ मिल कर करवाई|