वर्ण-व्यवस्था ---
"वर्ण" शब्द का सही अर्थ क्या हो सकता है? मेरी सोच के अनुसार --
(१) ब्राह्मण --- ब्रह्मचर्य और ब्रह्मज्ञान ही ब्राह्मणत्व है। ब्राह्मणत्व का आरम्भ ब्रह्मचर्य, और ब्राह्मणत्व की पूर्णता ब्रह्मज्ञान है। एक ब्रह्मचारी या ब्रह्मज्ञानी ही ब्राह्मण कहलाने का अधिकारी है।
(३) वैश्य --- जो समाज में सभी के कल्याण हेतु धन कमाता है, वह वैश्य है।
(४) शूद्र --- जो निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करता है, वह शूद्र है।
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(५) चांडाल कौन है? आज के समय में एक पाँचवाँ वर्ण "चांडाल" भी है। आजकल के सारे तथाकथित "सेकुलर बुद्धिजीवियों" को चांडाल ही कहना चाहिए। ये काम ही चांडाल का कर रहे हैं।
वर्णाश्रम धर्म नहीं रहा है। भगवान ही अवतृत होकर इसकी पुनः स्थापना कर सकते हैं। और कुछ लिखना नहीं चाहता। सभी का मंगल हो।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
३० जुलाई २०२४
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