समाजवाद/साम्यवाद/मार्क्सवाद से सावधान ....
-----------------------------------------------
मार्क्सवाद/साम्यवाद/समाजवाद .... एक अति कुटिल धूर्ततापूर्ण भ्रामक व्यवस्था है जिसने अपने अनुयायियों को सदा भ्रमित कर धोखा दिया है| जहाँ जहाँ भी यह व्यवस्था प्रभावी रही, अपने पीछे एक विनाशलीला छोड़ गई| यह व्यवस्था जहाँ भी फैली, बन्दूक की नोक पर या छल-कपट से फैली| समाज में व्याप्त अन्याय, अभाव और वर्गसंघर्ष की भावना ही मार्क्सवाद को जन्म देती है| यह एक घोर भौतिक और आध्यात्म विरोधी विचारधारा है| विश्व को इसके अनुभव से निकलना ही था| इस विचारधारा ने अन्याय और अभाव से पीड़ित विश्व में एक समता की आशा जगाई पर कालांतर में सभी को निराश किया|
.
१०१ वर्ष पूर्व २५ अक्टूबर १९१७ को वोल्गा नदी में खड़े रूसी युद्धपोत औरोरा से एक सैनिक विद्रोह के रूप में आरम्भ हुई रूस की बोल्शेविक क्रांति विश्व की बहुत बड़ी एक ऐसी घटना थी जिसने पूरे विश्व को प्रभावित किया| इस विचारधारा का उद्गम ब्रिटेन से हुआ पर ब्रिटेन में इसका प्रभाव शून्य था| रूस उस समय एक ऐसा देश था जहाँ विषमता, अन्याय, शोषण और अभावग्रस्तता बहुत अधिक थी| व्लादिमीर इल्यिच उलियानोव लेनिन एक ऊर्जावान और ओजस्वी वक्ता था जिसने रूस में इस विचार को फैलाया| लेनिन का जन्म १० अप्रेल १८७० को सिम्बर्स्क (रूस) में हुआ था| सन १८९१ में इसने क़ानून की पढाई पूरी की| अपने उग्र विचारों के कारण यह रूस से बाहर निर्वासित जीवन जी रहा था| रूसी शासक जार निकोलस रोमानोव ने इसके भाई को मरवा दिया था अतः यह जार के विरुद्ध एक बदले की भावना से भी ग्रस्त था| इसी के प्रयास से (और कुछ पश्चिमी शक्तियों की अप्रत्यक्ष सहायता से) सोवियत सरकार की स्थापना हुई और रूस एक कमजोर देश से विश्व की महाशक्ति बना| मार्क्स के विचारों को मूर्त रूप लेनिन ने ही दिया| मार्क्सवाद की स्थापना के लिए करोड़ों लोगों की हत्याएँ हुईं, बहुत अधिक अन्याय हुआ| पूरे विश्व में यह विचारधारा फ़ैली, कई देशों में मार्क्सवादी सरकारें भी बनीं, पर अंततः यह विचारधारा विफल ही सिद्ध हुई क्योंकि यह घोर भौतिक विचारधारा थी| ७ नवम्बर १९१७ को सोवियत सरकार स्थापित हुई थी अतः विधिवत रूप से ७ नवम्बर को ही बोल्शेविक क्रांति दिवस के रूप में रूस में मनाया जाता था| २१ जनवरी १९२४ को लेनिन की मृत्यु हुई| उसके बाद स्टालिन ने सोवियत संघ पर राज्य किया| स्टालिन रूसी नहीं था, जॉर्जियन था (जॉर्जिया अब रूस से अलग देश है)| निरंकुश निर्दयी तानाशाह स्टालिन को ही द्वितीय विश्वयुद्ध जीतने और मार्क्सवादी विचारधारा को फैलाने का श्रेय जाता है|
.
चीन में साम्यवाद माओ के लम्बे अभियान से नहीं बल्कि स्टालिन की रूसी सेना की सहायता से आया| मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप, कोरिया, क्यूबा आदि में में सोवियत संघ के सैन्य बल और पैसों के प्रभाव से साम्यवाद आया| भारत में इस आसुरी विचारधारा को ब्रिटेन ने एम.ऐन.राय जैसे विचारकों के माध्यम से निर्यात किया| दुनिया भर के फसादी लोगों को ब्रिटेन अपने यहाँ शरण देता है, और सारे विश्व में झगड़े और फसाद फैलाता है| अभी भी इल्युमिनाती जैसी अति खतरनाक गुप्त संस्थाएँ ब्रिटेन में ही हैं जो अमेरिका और वेटिकन के साथ मिलकर पूरे विश्व पर अपना राज्य स्थापित करना चाहती हैं| मार्क्स और लेनिन की जैसे खुराफाती भी ब्रिटेन द्वारा ही तैयार हुए|
.
हम आज जीवित हैं तो भगवान की कृपा से ही जीवित हैं, अन्यथा तो ये जिहादी, क्रूसेडर, नाजी, साम्यवादी जैसे धूर्त कुटिल निर्दयी लोग हमें कभी का मार डालते| मनुष्य की सभी समस्याओं का हल परमात्मा से प्रेम और सनातन धर्म में है, अन्यत्र कहीं भी नहीं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ अक्तूबर २०१८
-----------------------------------------------
मार्क्सवाद/साम्यवाद/समाजवाद .... एक अति कुटिल धूर्ततापूर्ण भ्रामक व्यवस्था है जिसने अपने अनुयायियों को सदा भ्रमित कर धोखा दिया है| जहाँ जहाँ भी यह व्यवस्था प्रभावी रही, अपने पीछे एक विनाशलीला छोड़ गई| यह व्यवस्था जहाँ भी फैली, बन्दूक की नोक पर या छल-कपट से फैली| समाज में व्याप्त अन्याय, अभाव और वर्गसंघर्ष की भावना ही मार्क्सवाद को जन्म देती है| यह एक घोर भौतिक और आध्यात्म विरोधी विचारधारा है| विश्व को इसके अनुभव से निकलना ही था| इस विचारधारा ने अन्याय और अभाव से पीड़ित विश्व में एक समता की आशा जगाई पर कालांतर में सभी को निराश किया|
.
१०१ वर्ष पूर्व २५ अक्टूबर १९१७ को वोल्गा नदी में खड़े रूसी युद्धपोत औरोरा से एक सैनिक विद्रोह के रूप में आरम्भ हुई रूस की बोल्शेविक क्रांति विश्व की बहुत बड़ी एक ऐसी घटना थी जिसने पूरे विश्व को प्रभावित किया| इस विचारधारा का उद्गम ब्रिटेन से हुआ पर ब्रिटेन में इसका प्रभाव शून्य था| रूस उस समय एक ऐसा देश था जहाँ विषमता, अन्याय, शोषण और अभावग्रस्तता बहुत अधिक थी| व्लादिमीर इल्यिच उलियानोव लेनिन एक ऊर्जावान और ओजस्वी वक्ता था जिसने रूस में इस विचार को फैलाया| लेनिन का जन्म १० अप्रेल १८७० को सिम्बर्स्क (रूस) में हुआ था| सन १८९१ में इसने क़ानून की पढाई पूरी की| अपने उग्र विचारों के कारण यह रूस से बाहर निर्वासित जीवन जी रहा था| रूसी शासक जार निकोलस रोमानोव ने इसके भाई को मरवा दिया था अतः यह जार के विरुद्ध एक बदले की भावना से भी ग्रस्त था| इसी के प्रयास से (और कुछ पश्चिमी शक्तियों की अप्रत्यक्ष सहायता से) सोवियत सरकार की स्थापना हुई और रूस एक कमजोर देश से विश्व की महाशक्ति बना| मार्क्स के विचारों को मूर्त रूप लेनिन ने ही दिया| मार्क्सवाद की स्थापना के लिए करोड़ों लोगों की हत्याएँ हुईं, बहुत अधिक अन्याय हुआ| पूरे विश्व में यह विचारधारा फ़ैली, कई देशों में मार्क्सवादी सरकारें भी बनीं, पर अंततः यह विचारधारा विफल ही सिद्ध हुई क्योंकि यह घोर भौतिक विचारधारा थी| ७ नवम्बर १९१७ को सोवियत सरकार स्थापित हुई थी अतः विधिवत रूप से ७ नवम्बर को ही बोल्शेविक क्रांति दिवस के रूप में रूस में मनाया जाता था| २१ जनवरी १९२४ को लेनिन की मृत्यु हुई| उसके बाद स्टालिन ने सोवियत संघ पर राज्य किया| स्टालिन रूसी नहीं था, जॉर्जियन था (जॉर्जिया अब रूस से अलग देश है)| निरंकुश निर्दयी तानाशाह स्टालिन को ही द्वितीय विश्वयुद्ध जीतने और मार्क्सवादी विचारधारा को फैलाने का श्रेय जाता है|
.
चीन में साम्यवाद माओ के लम्बे अभियान से नहीं बल्कि स्टालिन की रूसी सेना की सहायता से आया| मध्य एशिया, पूर्वी यूरोप, कोरिया, क्यूबा आदि में में सोवियत संघ के सैन्य बल और पैसों के प्रभाव से साम्यवाद आया| भारत में इस आसुरी विचारधारा को ब्रिटेन ने एम.ऐन.राय जैसे विचारकों के माध्यम से निर्यात किया| दुनिया भर के फसादी लोगों को ब्रिटेन अपने यहाँ शरण देता है, और सारे विश्व में झगड़े और फसाद फैलाता है| अभी भी इल्युमिनाती जैसी अति खतरनाक गुप्त संस्थाएँ ब्रिटेन में ही हैं जो अमेरिका और वेटिकन के साथ मिलकर पूरे विश्व पर अपना राज्य स्थापित करना चाहती हैं| मार्क्स और लेनिन की जैसे खुराफाती भी ब्रिटेन द्वारा ही तैयार हुए|
.
हम आज जीवित हैं तो भगवान की कृपा से ही जीवित हैं, अन्यथा तो ये जिहादी, क्रूसेडर, नाजी, साम्यवादी जैसे धूर्त कुटिल निर्दयी लोग हमें कभी का मार डालते| मनुष्य की सभी समस्याओं का हल परमात्मा से प्रेम और सनातन धर्म में है, अन्यत्र कहीं भी नहीं|
ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
२६ अक्तूबर २०१८