Thursday, 25 October 2018

साधकों के लिए दीपावली की रात्रि का महत्त्व .....

साधकों के लिए दीपावली की रात्रि का महत्त्व .....
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दीपावली की रात्री को व्यर्थ की गपशप, इधर-उधर घूमने, पटाखे फोड़ने, जूआ खेलने, शराब पीने, अदि में समय नष्ट नहीं करें| सब को पता होना चाहिए कि उस रात्री को समय का कितना बड़ा महत्त्व है| साधना की दृष्टी से चार रात्रियाँ बड़ी महत्वपूर्ण होती हैं ..... (१) कालरात्रि (दीपावली), (२) महारात्रि (शिवरात्रि), (३) दारुण रात्रि (होली), और (४) मोहरात्रि (कृष्ण जन्माष्टमी)| कालरात्रि (दीपावली) का आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है|
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जो योगमार्ग के साधक हैं, उन्हें इस रात्री को 'परमाकाश' (ब्रह्मरंध्र व सहस्त्रार से बहुत ऊपर उच्चतम अनंत विस्तार) का ध्यान अपनी गुरु परम्परानुसार करना चाहिए| साधक का लक्ष्य कालातीत अवस्था में स्थित होना है| वहाँ श्वेत रंग के परम ज्योतिर्मय पञ्चकोणीय श्वेत नक्षत्र के दर्शन होंगे, वे पंचमुखी महादेव हैं, उन्हीं में दृढ़ता से स्थित होकर उन्हीं का ध्यान करना है| गुरु कृपा से मार्ग दर्शन व सिद्धि निश्चित रूप से प्राप्त होगी| कुछ पढ़ने की इच्छा हो तो अर्थ सहित पुरुष सूक्त व श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए| शुद्ध आचार-विचार, ब्रह्मचर्य, नियमित साधना और पराभक्ति (परमात्मा से परम प्रेम) अत्यंत आवश्यक हैं| बिना भक्ति के कोई भी द्वार नहीं खुलता|
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सामान्यतः सभी को अपनी अपनी गुरु परम्परानुसार जप तप व साधना अवश्य करना चाहिए| कुछ समझ में नहीं आये तो राम नाम का खूब जप करें जो बहुत अधिक शक्तिशाली व परम कल्याणकारी है| राम नाम तारक मन्त्र है, जो सर्वसुलभ सर्वदा सब के लिए उपलब्ध है| सभी को शुभ कामनाएँ और नमन!
हरि ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

कृपा शंकर
२५ अक्टूबर २०१८

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