भारत में "अल्पसंख्यक" कौन है?
Friday, 31 January 2025
भारत में "अल्पसंख्यक" कौन है?
अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति कैसे मिले ? ---
अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति कैसे मिले ? ---
सच्चिदानंद की भावातीत अनुभूति ---
सच्चिदानंद की भावातीत अनुभूति ---
हमारे विचार सही होंगे तभी हमारा आचरण भी सही होगा ---
हमारे विचार सही होंगे तभी हमारा आचरण भी सही होगा ---
आजकल अधिकांश विवाह विफल क्यों हैं? ---
(प्रश्न) : आजकल अधिकांश विवाह विफल क्यों हैं?
"भूमा" का साक्षात्कार करने की जिज्ञासा है ---
"भूमा" का साक्षात्कार करने की जिज्ञासा है। भगवान सनतकुमार ने जिस भूमाविद्या का ज्ञान अपने प्रिय शिष्य देवर्षि नारद को दिया, वह भूमा ही ब्रह्मविद्या/ब्रह्मज्ञान है। छांदोज्ञोपनिषद व अन्य कुछ ग्रन्थों में सूत्र रूप में इसका वर्णन है। उन्हें मैं बुद्धि के द्वारा समझने में असमर्थ हूँ, क्योंकि वेदांगों के ज्ञान के बिना श्रुतियों (वेदों) को समझना असंभव है।
हम अपने बच्चों को जो प्यार करते हैं, वह वास्तव में परमात्मा को प्यार करते हैं। हमारे बच्चे भी परमात्मा के रूप में उस प्यार को स्वीकार करते हैं।
हम अपने बच्चों को जो प्यार करते हैं, वह वास्तव में परमात्मा को प्यार करते हैं। हमारे बच्चे भी परमात्मा के रूप में उस प्यार को स्वीकार करते हैं।
अनात्म में बहुत अधिक भटक गया हूँ, परमात्म मूल में बापस लौट रहा हूँ ---
Thursday, 30 January 2025
कूटस्थ, उपास्य और उपासना :---
कूटस्थ, उपास्य और उपासना :---
भगवान ही भक्ति हैं, भगवान ही भक्त हैं, भगवान ही क्रिया और कर्ता हैं --- .
भगवान ही भक्ति हैं, भगवान ही भक्त हैं, भगवान ही क्रिया और कर्ता हैं ---
Wednesday, 29 January 2025
पुरुषोत्तम ---
पुरुषोत्तम ---
Tuesday, 28 January 2025
इस समय जिस तरह से हमारी अस्मिता (हिंदुत्व) पर प्रहार हो रहा है, मुझे लगता है मुझे कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को भी उजागर करना ही होगा ---
इस समय जिस तरह से हमारी अस्मिता (हिंदुत्व) पर प्रहार हो रहा है, मुझे लगता है मुझे कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को भी उजागर करना ही होगा|
जैसे जैसे मैं अपने आध्यात्म मार्ग पर आगे बढ़ रहा हूँ ---
जैसे जैसे मैं अपने आध्यात्म मार्ग पर आगे बढ़ रहा हूँ, निज चेतना से द्वैत की भावना शनैः शनैः समाप्त हो रही है| जड़ और चेतन में अब कोई भेद नहीं दिखाई देता| अब तो कुछ भी जड़ नहीं है, सारी सृष्टि ही परमात्मा से चेतन है| कण कण में परमात्मा की अभिव्यक्ति है| इस भौतिक संसार की रचना जिस ऊर्जा से हुई है, उस ऊर्जा का हर कण, हर खंड और हर प्रवाह परमात्मा की ही अभिव्यक्ति है|
शोकगीत के रूप में लिखी गई हिन्दी भाषा की एक प्रसिद्ध साहित्यिक रचना ---
शोकगीत के रूप में लिखी गई हिन्दी भाषा की एक प्रसिद्ध साहित्यिक रचना ---
शब्दार्थों पर नहीं, आध्यात्मिक अर्थों पर विचार करें ---
शब्दार्थों पर नहीं, आध्यात्मिक अर्थों पर विचार करें कि --
Monday, 27 January 2025
भगवान हमारी चेतना में हैं, कहीं बाहर नहीं, सारा ब्रह्मांड, सारी सृष्टि हमारी चेतना में है ---
भगवान की बड़ी कृपा है कि मन में भटकाने वाले तरह तरह के विचार आने बंद हो गए हैं। पाप-पुण्य और धर्म-अधर्म का भी अब कोई महत्व नहीं रहा है। आध्यात्मिक अनुभूतियाँ भी महत्वहीन हो गई हैं। भगवान हैं, इसी समय हैं, सर्वदा और सर्वत्र हैं; जो चेतना से कभी लुप्त नहीं होते। उनका आनंद अपने आप ही सर्वदा सर्वत्र व्याप्त हो रहा है, उनसे भी कुछ नहीं चाहिए। किसी से कुछ भी कोई अपेक्षा नहीं है। वे पूर्ण तृप्ति और पूर्ण संतुष्टि हैं।
सर्वाधिक महत्व एक ही बात का है -- वह है "निरंतर भगवान का स्मरण", प्रातःकाल उठते ही भगवान का कीर्तन और ध्यान करें ---
(१) सर्वाधिक महत्व एक ही बात का है -- वह है "निरंतर भगवान का स्मरण"। गीता में भगवान कहते हैं --
Saturday, 25 January 2025
अब किसी भी तरह की आध्यात्मिक साधना/उपासना/ जप/तप आदि करना मेरे लिए संभव नहीं है --
अब किसी भी तरह की आध्यात्मिक साधना/उपासना/ जप/तप आदि करना मेरे लिए संभव नहीं है। भगवान से भी कुछ नहीं चाहिए, नर्क में रखें या स्वर्ग में; मेरी इसमें कोई रुची नहीं है। कोई मोक्ष भी नहीं चाहिए। जो करना है वह वे करें, उनकी इच्छा। मुझे कोई भय या कामना नहीं है।
परमात्मा से पृथकता का बोध हमारे पतन का कारण है ---
परमात्मा से पृथकता का बोध हमारे पतन का कारण है ---