भगवती कुंडलिनी महाशक्ति ---
Monday, 31 October 2022
भगवती कुंडलिनी महाशक्ति ---
मन ख्वाहिशों में अटका रहा और जिंदगी मुझे जी कर चली गई ---
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक ---
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक ---
परमात्मा के प्रति जो प्रेम हमारे हृदय में छिपा हुआ है, उसकी निरंतर अभिव्यक्ति हो, यही मनुष्य जीवन की सार्थकता है ---
परमात्मा के प्रति जो प्रेम हमारे हृदय में छिपा हुआ है, उसकी निरंतर अभिव्यक्ति हो, यही मनुष्य जीवन की सार्थकता है ---
सब प्रकार की परिस्थितियों से ऊपर उठना हमारा आध्यात्मिक दायित्व है ---
सब प्रकार की परिस्थितियों से ऊपर उठना हमारा आध्यात्मिक दायित्व है ---
हमारे में अनन्य योग और अव्यभिचारिणी भक्ति हो ---
हमारे में अनन्य योग और अव्यभिचारिणी भक्ति हो, तब हर पल एक उत्सव है। तभी हम शिवमय होकर शिव का ध्यान कर सकते हैं ---
ईश्वर की प्राप्ति ---
ईश्वर की प्राप्ति ---
उपसंहार ---
उपसंहार ---
निराकार से तृप्ति नहीं मिलती -----
निराकार से तृप्ति नहीं मिलती। साकार रूप में मुझे भगवान की जितनी आवश्यकता इस समय है उतनी तो इस जीवन में कभी भी नहीं थी। भगवान निराकार रूप में नहीं, साकार रूप में चाहिएँ, अभी और इसी समय। अब और प्रतीक्षा नहीं हो सकती। मुझे न तो निर्विकल्प-समाधि चाहिए, न कोई आनंद या अन्य अनुभूति।
भगवान का कार्य ---
मैं कौन हूँ ?
मैं कौन हूँ ?
मेरा आध्यात्मिक पतन कब कब हुआ है?
मेरा आध्यात्मिक पतन कब कब हुआ है?
Saturday, 29 October 2022
कौन सा मत/संप्रदाय/सिद्धान्त सर्वश्रेष्ठ है?
मैं सत्य-सनातन-हिन्दू-धर्म के सभी संप्रदायों का सम्मान समभाव से करता हूँ। मैंने हिन्दू-धर्म के लगभग सभी प्रमुख संप्रदायों के संत-महात्माओं के साथ सत्संग किया है। सभी संप्रदायों में एक से बढ़कर एक तपस्वी और विद्वान साधु हैं। जितना सम्मान मैं शंकराचार्यों का करता हूँ, उतना ही सम्मान वैष्णवाचार्यों का करता हूँ। मैं अपना एक निजी विचार व्यक्त कर रहा हूँ ---
स्वयं का पिंडदान ---
स्वयं का पिंडदान ---
परमात्मा के ध्यान से प्राप्त आनंद ही वास्तविक सत्संग है ---
परमात्मा के ध्यान से प्राप्त आनंद ही वास्तविक सत्संग है ---
"खान" शब्द भगवान श्रीकृष्ण के एक नाम "कान्ह" का अपभ्रंस है ---
"खान" शब्द भगवान श्रीकृष्ण के एक नाम "कान्ह" का अपभ्रंस है ---