Wednesday 26 April 2017

अहंकार यानि ईश्वर से पृथकता ही मनुष्य की समस्त पीड़ाओं का कारण है ..

अहंकार यानि ईश्वर से पृथकता ही मनुष्य की समस्त पीड़ाओं का कारण है ..
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सब दू:खों, कष्टों और पीडाओं का स्थाई समाधान है --- शरणागति, यानि पूर्ण समर्पण| प्रभु को इतना प्रेम करो, इतना प्रेम करो कि निरंतर उनका ही चिंतन रहे| फिर आपकी समस्त चिंताओं का भार वे स्वयं अपने ऊपर ले लेंगे|
जो भगवान का सदैव ध्यान करता है उसका काम स्वयं भगवान ही करते हैं|
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संसार में सबसे बड़ी और सबसे अच्छी सेवा जो आप किसी के लिए कर सकते हो वह है -- परमात्मा की प्राप्ति| तब आपका अस्तित्व ही दूसरों के लिए वरदान बन जाता है| तब आप इस धरा को पवित्र करते हैं, पृथ्वी पर चलते फिरते भगवान बन जाते हैं, आपके पितृगण आनंदित होते हैं, देवता नृत्य करते हैं और यह पृथ्वी सनाथ हो जाती है|
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परमात्मा एक प्रवाह की तरह हैं जिसे शांत होकर अपने भीतर बहने दो| कोई अवरोध मत खड़ा करो| उनकी उपस्थिति के सूर्य को अपने भीतर चमकने दो|
जब उनकी उपस्थिति के प्रकाश से ह्रदय पुष्प की भक्ति रूपी पंखुड़ियाँ खिलेंगी तो उसकी महक अपने ह्रदय से सर्वत्र फ़ैल जायेगी|
हे प्रभु, यह मेरापन, सारी वासनाएँ, और सम्पूर्ण अस्तित्व तुम्हें समर्पित है|
जल की यह बूँद तेरे महासागर में समर्पित है जो तेरे साथ एक है, अब कोई भेद ना रहे|
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ॐ नमः शिवाय ! ॐ शिव ! ॐ ॐ ॐ ||

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