लखीमपुर काण्ड का मुख्य उद्देश्य :--- केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से हटाना, क्योंकि अजय मिश्रा ने ऐसा बयान दिया था कि तराई में अवैध कब्जेधारी भूमाफिया भयग्रस्त हो गये थे। ऐसे में राकेश टिकैत से विचार विमर्श के बाद लखीमपुर काण्ड की पटकथा लिखी गई।
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लखीमपुर कांड :--- ये किसान नहीं,दुधवा नेशनल पार्क की सैकड़ों-हजारों एकड़ जमीन कब्जा कर बैठे भूमाफिया थे। लखीमपुर की हकीकत को मीडिया कभी नही बताएगी। सच्चाई कुछ और ही है
जिसे छुपाया जा रहा है।
लखीमपुर घटना को लेकर वही नैरेटिव सेट किया जा रहा है जो दिल्ली दंगो को लेकर कपिल मिश्रा के बयान को लेकर किया गया था। आगे बढ़ने से पहले अजय मिश्रा का तथाकथित विवादित बयान भी जान लीजिए। कुछ दिन पूर्व जब मिश्र इस क्षेत्र में पहुंचे तो उन्हें अवैध कब्जाधारी भूमाफियाओं द्वारा काले झंडे दिखाए गए। इस पर मिश्रा ने चेतावनी देते हुए कहा कि ये सब बन्द करो। हमें आपकी हरकतें पता है शीघ्र ही कड़ी कार्रवाई होगी। इसी बयान को मीडिया विवादित बयान कहकर घटना का जिम्मेदार बता रहा है।
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किन्तु प्रश्न ये उठता है आखिर क्या है वो हरकत जिस पर केंद्रीय मंत्री ने इशारा किया था? क्या ये आन्दोलनजीवियों की कमजोर नस है जो दब गई? इसके लिये आपको घटनास्थल के आसपास के क्षेत्र की भौगोलिक और डेमोग्राफिक स्थिति समझना होगी। आप देखेंगे तो ये पूरा क्षेत्र दुधवा फौरेस्ट के नजदीक है। यहां पर शारदा, घाघरा जैसी नदियां है जिससे ये क्षेत्र सिंचित क्षेत्र कहलाता है जो कि खेती के लिए आदर्श स्थिति है। डेमोग्राफी देखें तो पूरे लखीमपुर जिले की लगभग आधी भूमि आर भूमाफियाओं का अधिकार है। जहां पर ये घटना घटी १५ प्रतिशत पंजाबी हैं जिनके अधिकार मे अधिकांश भूमि अवैध है। यहां के तथाकथित किसान कोई गरीब मजबूर किसान नहीं हैं। अधिकतर के सैकड़ों एकड़ में फैले फार्महाउस है जो उन्होंने अतिक्रमण कर बनाए हैं। यहां साढ़े बारह एकड़ भूमि सीलिंग नियम के अंतर्गत आती है, इसलिए किस तरह से यहां सैकड़ों एकड़ में फार्महाउस बनाए गए बताने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए कृषि बिल का विरोध है क्योंकि बिल गरीब किसानों के लिए ही है जिससे धन्ना किसानों को अपनी जमीदारी खिसकती दिख रही है।
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इसलिए जब कुछ दिन पूर्व मंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि हम आपकी हरकतें जानते हैं और बड़ी कार्रवाई होगी तब यहां के बाहुबली किसानो में खलबली मच गई। ध्यान रहे अजय मिश्रा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री है और योगी सरकार भी माफियाओं के ऊपर शिकंजा कसने के लिए जानी जाती है। अतः मंत्री की चेतावनी से घबराए आन्दोलनजीवियों ने अपने आकाओं को खबर दी, जिन्होंने मौका देख कर चौका मारने का इशारा दे दिया ताकि किसी भी कीमत पर अजय मिश्रा को मंत्री पद से हटवाया जाए।
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क्या थी पूरी घटना? शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि इस क्षेत्र में श्राद्ध के दौरान दंगल का आयोजन होता है जो वर्षो से चला आ रहा है। अजय मिश्रा का लखीमपुर जिले में गृहक्षेत्र है। वे स्वयं पहलवान रहे हैं और क्षेत्र के सम्मानित व्यक्ति हैं। वे अक्सर इस आयोजन में जाते रहें हैं,अतः आयोजकों ने इसमें शामिल होने के लिए उपमुख्यमंत्री मौर्य और अजय मिश्रा को आमंत्रित किया। भनक लगते ही हजारों की संख्या में भूमाफियाओं ने हेलिपेड को घेर लिया। तब मौर्य सड़क के रास्ते से निकल गए क्योंकि अराजकतावादियों का निशाना तो अजय मिश्र थे।
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जैसे ही मिश्र का काफिला संवेदनशील (पालघर जैसी) जगह से निकला, सैंकड़ो की संख्या में पंजाब से आए गुंडों ने आगे चल रही चार गाड़ियों को रोककर ताबड़तोड़ हमला कर दिया, जिसमें एक गाड़ी पलटने से दो आंदोलनकारियों की गाड़ी से दबकर और दो की धक्का लगने से मौत हो गई। गुस्साई अराजक आन्दोलनजीवी भीड़ ने गाड़ी से खींच कर 5 लोगों को डंडों से पीट पीटकर बेरहमी से तड़पा तड़पा कर हत्या कर दी। कहने की जरूरत नहीं कि ये पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित देशद्रोही तत्व थे, जिन्हें कांग्रेस, सपा तथा तृणमूल कांग्रेस जैसी भारतीय राजनीतिक दलों का आशीर्वाद और खुला समर्थन प्राप्त है।
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जैसे 1761 में देश विरोधी तत्वों ने अहमद शाह अब्दाली को निमंत्रण देकर पानीपत के मैदान में मराठों का विनाश कराया था, उसी तरह इस बार उन्हीं अराजक तत्वों को आमंत्रित करके भाजपा की केंद्र तथा राज्य सरकार को मिटाने का षड्यंत्र रचा गया है।
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इस दर्दनाक घटना के बाद अराजकजीवियो ने प्लान B के तहत मृतक परिवारो को आगे कर टिकैत को बुलाने की मांग की। योगी सरकार ने मामला समझते हुए तुरंत राजनीति करने आए विपक्षी गिद्धों को नजरबंद कर, टिकैत को जाने दिया, और समझौता करवाकर बड़े षड्यंत्र को असफल कर दिया।
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अब शायद आपको घटना की सच्चाई समझ आ गई होगी। षडयंत्र का मुख्य हिस्सा कैसे भी करके अजय मिश्र को मंत्रिपद से हटवाना है। यदि ऐसा हुआ तो षडयन्त्रकारियों की जीत होगी और उनके हौसले और भी बुलंद होंगे। आगे जाकर इसकी आंच गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे तक भी पहुंच सकती है।
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योगी सरकार के लिए भी ये परीक्षा की घड़ी है। योगी जी को अब इस क्षेत्र में बने फार्महाउसों पर जांच बैठा देनी चाहिए। जांच होने दीजिए, शीघ्र ही सच सामने आ जाएगा।
९ अक्तूबर २०२१