इस जन्म में मैं स्वाभिमान और गर्व सहित सनातनी हिन्दू हूँ। हिन्दू का अर्थ है जो हिंसा से दूर है। मनुष्य में हिंसा का जन्म लोभ व अहंकार से होता है। लोभ व अहंकार ही राग-द्वेष है। राग-द्वेष से मुक्ति ही वीतरागता है। वीतराग व्यक्ति ही महत् तत्व से जुड़कर महात्मा बनता है। वीतराग व्यक्ति ही स्थितप्रज्ञता को प्राप्त होता है जो ईश्वर प्राप्ति की अवस्था है। स्थितप्रज्ञता ही कैवल्य/ब्राह्मी-स्थिति/कूटस्थ-चैतन्य आदि है। हम शाश्वत आत्मा हैं, इसलिए हमारा स्वधर्म परमात्मा से परमप्रेम और समर्पण है। इस पृथ्वी पर वह हर व्यक्ति हिन्दू है जिसे परमात्मा से प्रेम है, व जो परमात्मा को उपलब्ध होना चाहता है। हिन्दुत्व ही हमें आत्मा की शाश्वतता, पुनर्जन्म और कर्मफलों की शिक्षा देता है। घृणा व क्रोध से मुक्त होकर, ईश्वर की चेतना में रहते हुए हम अपने शत्रुओं का संहार करें। हमारे मन में शत्रुभाव का अभाव तो सदा रहे, लेकिन शत्रुबोध सदा बना रहे।
योगोदय (Yogodaya)
स्वयं के आध्यात्मिक विचारों की अभिव्यक्ति ही इस ब्लॉग का एकमात्र उद्देश्य है |
Monday, 29 December 2025
इस जन्म में मैं स्वाभिमान और गर्व सहित सनातनी हिन्दू हूँ ---
कांग्रेस के नेताओं को अपनी हार के लिए अपने अलावा सब जिम्मेदार लगते हैं ---
कांग्रेस के नेताओं को अपनी हार के लिए अपने अलावा सब जिम्मेदार लगते हैं
"राम" नाम पर सबका जन्मसिद्ध अधिकार है ---
"राम" नाम पर सबका जन्मसिद्ध अधिकार है। इसने पता नहीं अब तक कितने असंख्य लोगों को तारा है और कितनों को तारेगा। यह हमें परमात्मा का सबसे बड़ा उपहार है। ध्यानमुद्रा शांभवी में तो इसका विधिवत जप करें ही, लेकिन चलते-फिरते, उठते-बैठते, शौच-अशौच और देश-काल आदि के सब बंधनों से स्वयं को मुक्त कर इसका हर समय मानसिक जप कर सकते हैं।
रहस्यों का रहस्य ---
हमारा कार्य केवल परमात्मा के प्रकाश का विस्तार करना है ---
हमारा कार्य केवल परमात्मा के प्रकाश का विस्तार करना है, अन्य सब उनकी यानि परमात्मा की समस्या है।
यह वृद्धावस्था बड़ी खराब चीज है --
यह वृद्धावस्था बड़ी खराब चीज है -- (भगवान के भजन करने के इस मौसम में यह शरीर महाराज पूरा सहयोग नहीं करता। बड़ा धोखेबाज़ मित्र है)
आजकल मुझे निमित्त बनाकर भगवान श्रीकृष्ण अपनी साधना स्वयं कर रहे हैं ---
आजकल मुझे निमित्त बनाकर भगवान श्रीकृष्ण अपनी साधना स्वयं कर रहे हैं। मैं जहां भी हूँ, आप सब के हृदय में हूँ। आप सबसे मिले प्रेम के कारण मैं अभिभूत हूँ। आप सब कृतकृत्य हों, और आपका जीवन कृतार्थ हो।