Thursday, 12 December 2024

(प्रश्न) हिन्दू लड़कियों को लव-जिहाद, घर से भागने और लिव-इन-रिलेशनशिप से कैसे बचाएँ ??

 (उत्तर) मेरा उत्तर मनोवैज्ञानिक और बायलोजिकल तथ्यों पर आधारित है। इसे कोई भी नकार नहीं सकता। किसी भी युवती और युवक में Opposite Sex के प्रति आकर्षण एक आयु विशेष में अपने चरम पर होता है। एक अवस्था ऐसी भी आती है कि नवयुवक और नवयुवतियाँ बिना यौन संबंध बनाए रह ही नहीं सकते। अपवाद कोई एक हज़ार में से एक व्यक्ति ही होता होगा। यह एक प्रकृति-प्रदत्त स्वाभाविक मांग है। इस आयु में लड़कों और लड़कियों का विवाह हो जाना चाहिए। अपना Career वे विवाह के पश्चात भी बना सकते हैं, और Settle भी विवाह के बाद हो सकते हैं।

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२५ वर्ष की आयु से पूर्व लड़कों का और २२ वर्ष से पूर्व लड़कियों का विवाह किसी भी परिस्थिति में हो जाना चाहिए, अन्यथा पूरी संभावना है कि वे Lesbian, Gay, या Bi-Sexual हो जाएँगे। उनमें Masturbation की आदत भी पड़ जाती है। इसी कारण से Live-in-relationship का आरंभ हुआ है, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय ने कानूनी मान्यता दे दी है। यह Opposite Sex के प्रति आकर्षण, और यौन-सुख की चाह ही लव-जिहाद का एकमात्र कारण है। अन्य कोई कारण नहीं है।
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दूसरा कारण धन की भूख है। हरेक लड़का पैसे वाली लड़की से विवाह करना चाहता है, और हरेक लड़की पैसे वाले लड़के से विवाह करना चाहती है। हिन्दू युवक और युवतियाँ ३५-४० वर्ष की आयु में विवाह करने लगे है। इस आयु में युवती को माँ बनने में भी बहुत अधिक कष्ट होता है। जब तक उनकी संतान १० वीं पास करती हैं, वे Retire हो जाते हैं और समस्या आती है कि अपने बच्चे को आगे कैसे पढ़ाएँ।
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देरी से हुये विवाह में पति-पत्नी और पत्नी व उसके ससुराल वालों में तालमेल भी ठीक से नहीं बैठता। उनमें कुछ न कुछ खटपट होती ही रहती है। ४० वर्ष की आयु के पश्चात पुरुष की यौन-इच्छाएँ व क्षमताएँ भी समाप्त होने लगती हैं। स्त्री को भी menopause के symptoms आने लगते हैं। उस आयु में वे विवाह करती हैं और माँ बनती हैं, तो निश्चित रूप से पति-पत्नी में खटपट होती ही है।
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यदि विवाह समय पर हो जाता, और बच्चे समय पर हो जाते हैं, तो उपरोक्त समस्याएँ नहीं हो सकती। आजकल हिन्दू समाज की स्थिति बड़ी दयनीय है। न तो विवाह योग्य अच्छे लड़के मिलते हैं और न विवाह योग्य लड़कियाँ। समाज में माँ-बाप इतने झूठे और पाखंडी हो गए हैं कि अपनी बेटी के विवाह में तो दहेज-विरोधी बन जाते हैं, और बेटे के विवाह में दहेज-समर्थक। अपने बेटों को धन वाले संबंध की प्रतीक्षा में घर पर बैठाये बैठाये बूढ़ा कर देते हैं। यही हाल लड़कियों का है। धन वाले लड़के की प्रतीक्षा में लड़कियों की विवाह-योग्य आयु निकल जाती है, और वे माँ-बाप के घर में ही बूढ़ी हो जाती हैं।
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मैंने जो लिखा है वह अपने अनुभव से लिखा है। मेरी आयु सरकारी कागजों में ७६ वर्ष है और जन्मपत्री में कुछ कम। पूरे भारत की ही नहीं, विश्व के अधिकांश मुख्य देशों का भ्रमण भी किया है, पृथ्वी की परिक्रमा भी की है और विदेशों में भी खूब रहा हूँ। अतः जीवन का खूब अनुभव है। जो कुछ भी लिखा है वह अपने अनुभव से लिखा है। धन्यवाद।
कृपा शंकर
१३ दिसंबर २०२२
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(इस लेख को कॉपी/पेस्ट भी कर सकते हैं, साझा भी कर सकते हैं और मेरा नाम काट कर अपने नाम से भी छाप सकते हैं। मेरा यह संदेश समाज में जाना चाहिये)

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