Monday 9 August 2021

यह दुनिया परमात्मा की है, हमारी नहीं; उसकी मर्जी, वह इसे चाहे जैसे चलाये ---

 

इस सृष्टि में सभी की अपनी अपनी समस्यायें हैं, अपनी अपनी पीड़ा है| जिस समय ये पंक्तियाँ लिख रहा हूँ, पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, पश्चिमी एशिया का एक शानदार देश गृहयुद्ध झेल रहा है और नष्ट हो रहा है| कई देश नष्ट हो चुके हैं| भारत की भी अति गंभीर समस्यायें हैं, और हर नागरिक की भी| मेरी भी पीड़ायें हैं... एक-दो नहीं बहुत सारीं| गहराई से सोचता हूँ तो चार प्रश्न दिमाग में आते हैं...
(१) कौन कष्ट पा रहा है? (२) क्या कष्ट पा रहा है? (३) क्या मैं सचमुच दुःखी हूँ? (४) इन दुःखों और कष्टों के मध्य मेरा क्या कर्तव्य है?
इन के उत्तर भी लिख रहा हूँ|
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(१) कौन कष्ट पा रहा है? ... जिसने यह सृष्टि रची है, वह परमात्मा स्वयं ही जीवों के रूप में कष्ट पा रहा है, और स्वयं को ही कष्ट दे रहा है| आनंद भी वही है और कष्ट भी वही है|
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(२) क्या कष्ट पा रहा है? ... हमारा अहंकार और पृथकता का बोध ही कष्ट पा रहा है| यह सदा कष्ट ही पायेगा| सृष्टि की रचना ही इस आधार हुई है कि अहंकार और सुख कभी साथ-साथ नहीं रह सकते|
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(३) क्या मैं सचमुच ही दुःखी हूँ? ... जिसने मुझे बनाया, वह परमात्मा ही दुखी है, मैं नहीं| उसका कष्ट और पीड़ा ही मुझ में व्यक्त हो रही हैं|
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(४) इन दुःखों और कष्टों के मध्य मेरा क्या कर्तव्य है? ... इसका उत्तर गीता में भगवान श्रीकृष्ण देते हैं .....
"उद्धरेदात्मनाऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्‌ | आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः||६:५||"
अर्थात हम अपने द्वारा अपना संसार-समुद्र से उद्धार करें, और अपने को अधोगति में न डाले| क्योंकि यह मनुष्य आप ही तो अपना मित्र है और आप ही अपना शत्रु है||"
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यह दुनिया परमात्मा की है, हमारी नहीं| उसकी मर्जी, वह इसे चाहे जैसे चलाये| पर उसकी अभिव्यक्ति उसके विश्व में निरंतर हो| इस संसार में कष्ट ही कष्ट हैं, कोई आनंद नहीं| आनंद सिर्फ परमात्मा में है| भूतकाल चाहे जितना भी दुःखद हो, उसे तो हम बदल नहीं सकते, भविष्य हमारे लिए एक स्वप्न मात्र है| हमारा अधिकार सिर्फ वर्तमान पर है| जैसा भविष्य हम चाहते हैं, वैसे ही वर्तमान का निर्माण करें| यह परिवर्तन स्वयं से हो, वर्तमान हमारे आदर्शों का हो| दुनियादारी की सब पुरानी बातों को भूल कर अपना हृदय, पूर्ण प्रेम पूर्वक परमात्मा को ही दे देने में सार्थकता और समझदारी है|
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मैं तो एक फूल हूँ, मुरझा गया तो मलाल क्यों ?
तुम तो महक हो, हवाओं में जिसे समाना है ||
कृपा शंकर
१० अगस्त २०२०

1 comment:

  1. लगता है भारत, दक्षिण चीन सागर में एक युद्ध की प्रतीक्षा कर रहा है| जिस दिन दक्षिण चीन सागर में युद्ध आरंभ हुआ वह विश्वयुद्ध का प्रारंभ होगा| चीन का युद्ध ... जापान, दक्षिण कोरिया, ताईवान, अमेरिका और भारत से होगा| चीन के साथ पाकिस्तान और ईरान होंगे|
    चीन की शह पर पाकिस्तान भारत पर आक्रमण करेगा| भारत, पाकिस्तान से पाक-अधिकृत कश्मीर, बाल्टिस्तान और गिलगिट छुड़ा लेगा| पाकिस्तान के तीन-चार टुकड़े इस युद्ध में हो जाएँगे|
    भारत भी चीन पर आक्रमण कर अक्साई-चिन और वह सारा क्षेत्र छुड़ा लेगा जिसे चीन ने भारत से छीना था| तिब्बत को भी भारत एक स्वतंत्र देश बना देगा|
    रूस तटस्थ रहेगा इसके कुछ कारण हैं| चीन, अफगानिस्तान के उत्तर में स्थित एक छोटे से देश ताजिकिस्तान में पामीर की पहाड़ियों और पठार पर अधिकार करना चाहता है| इसे रूस कभी भी सहन नहीं करेगा, क्योंकि ताज़िकिस्तान कभी सोवियत संघ का भाग था, और रूस उस का स्वाभाविक मित्र है| चीन ने ताजिकिस्तान के एक बहुत बड़े भूभाग पर अवैध अधिकार भी कर रखा है, और अब आधे ताजिकिस्तान पर अपना दावा कर रहा है|
    रूस और चीन में आमूर और उसूरी नदी के जलक्षेत्र को लेकर विवाद भी रहा है और युद्ध भी हुआ है| चीन ने रूस के व्लादिवोस्तोक नगर पर भी अपना दावा किया है जो प्रशांत महासागर तट पर रूस का सबसे बड़ा सैनिक अड्डा है| रूस इस कारण चीन का साथ नहीं देगा|
    विश्वयुद्ध तो होगा पर कब होगा इसके बारे में कुछ भी कहना असंभव है| इसके बाद चीन के पाँच टुकड़े होना निश्चित है| भारत एक महाशक्ति के रूप में उभरेगा|
    १० अगस्त २०२०

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