Sunday 11 February 2018

पढो कम, पर ध्यान अधिक करो .....

पढो कम, पर ध्यान अधिक करो .....
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भगवान के प्रति परम प्रेम और उन्हें पाने की अभीप्सा, शास्त्रों के ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण और सार्थक है| शास्त्रों के ज्ञान की उपयोगिता तभी तक है जब तक भगवान को पाने की तड़प उत्पन्न नहीं होती| शास्त्रों से हमें प्रेरणा और दिशा-निर्देश ही प्राप्त हो सकते हैं, वास्तविक ज्ञान नहीं| वास्तविक ज्ञान तो हमें भगवान की कृपा से ही मिल सकता है, क्योंकि भगवान ही सारे ज्ञान का स्त्रोत हैं| जब भगवान में मन लग जाये तब भगवान का चिंतन ही करना चाहिए| सब अनात्म विचारों को हटाकर भगवान के प्रियतम रूप का निरंतर चिंतन-मनन ही ध्यान है| भगवान निश्चित रूप से अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं|
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शास्त्रों का स्वाध्याय ......... सत्संग, प्रेरणा, मार्गदर्शन और उत्साहवृद्धि के लिए ही करना चाहिए| बिना साधना के मात्र शास्त्रों का अध्ययन विद्वता के एक मिथ्या अहंकार को जन्म देता है| हमारे जीवन का लक्ष्य भगवान की प्राप्ति है, न कि सिर्फ बौद्धिक ज्ञान| सिर्फ ग्रन्थ पढ़ने या सुनने से भगवान नहीं मिलते|
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विश्व की धर्मान्धता, कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद की सारी समस्याएँ उस दिन दूर हो जाएँगी जिस दिन पृथ्वी पर सभी लोग भगवान से प्रेम करने लगेंगे| वर्तमान में उग्र आतंकवाद का एकमात्र कारण यही है कि पृथ्वी पर कुछ लोग भगवान से तो प्रेम नहीं करते पर अपनी कुछ पुस्तकों की तथाकथित श्रेष्ठता और उन में लिखे विचार सब पर बलात् थोपना चाहते हैं, चाहे दूसरों की ह्त्या ही करनी पड़े| वे लोग मार्क्सवादी हों या नाजी, क्रूसेडर हों या जिहादी, या चाहे फर्जी सेकुलर, सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं||
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हे भगवान, सब को सदबुद्धि और विवेक दो| ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
सभी को सप्रेम सादर नमन!
कृपा शंकर
१० फरवरी २०१८

1 comment:

  1. यदि मैं दूसरों को मुर्ख समझता हूँ तो मेरे से बड़ा मुर्ख कोई दूसरा नहीं है| आजकल सूचना-प्रोद्योगिकी इतनी अधिक विकसित हो गयी है कि कुछ भी छिपा नहीं रह सकता है| हर बात तुरंत सामने आ जाती है| यदि मैं झूठ बोल कर स्वयं को ऊँचा दिखाने के लिए पंजों के बल चलता हूँ तो मेरा गिरना भी सुनिश्चित है| आत्म-प्रचार कर के कोई बड़ा नहीं हो सकता| यश की कामना से अपयश ही मिलता है| सभी को धन्यवाद!

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