शराब के अत्यधिक सेवन के पीछे सरकारी प्रोत्साहन है ......
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भारत में अंग्रेजों के आने से पूर्व मद्यपान बहुत ही कम लोग करते थे| यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि अंग्रेजों ने ही इसे अत्यधिक लोकप्रिय बनाया| अंग्रेजों के आने से पूर्व नशा करने वाले या तो भांग खाते थे या गांजा पीते थे जो इतनी हानि नहीं करते थे| भांग-गांजे के पौधे जंगली पौधे होते हैं जो हर कहीं उग सकते हैं, जिन से सरकार को कोई कर यानि टैक्स नहीं मिलता था, सिर्फ इसी लिए अंग्रेजी सरकार ने इन पर प्रतिबन्ध लगा दिया| चूंकि शराब पर चालीस प्रतिशत से अधिक कर लगता था जिस से सरकारी खजाने में खूब वृद्धि होती थी इसलिए अंग्रेजी सरकार ने शराब पीने को खूब प्रोत्साहन दिया| अंग्रेजों के जाने पश्चात भी भारत सरकार ने वही नीति बनाए रखी| अब भी राज्य सरकारें अपनी राजस्व वृद्धि के लिए शराब को जन सुलभ बनाकर उस के प्रयोग को अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करती हैं|
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मैं किसी भी तरह के नशे के विरुद्ध हूँ पर यहाँ ऐतिहासिक सत्य को बताना आवश्यक है| अमेरिका में जब गुलामी की प्रथा थी उस समय काले नीग्रो गुलाम लोगों के पास शराब खरीदने को पैसे नहीं होते थे, अतः वे भांग उगा कर भांग का ही नशा करते थे| अमेरिका में उस समय भांग बहुत लोकप्रिय थी और वहाँ की सरकार इसके उत्पादन को खूब प्रोत्साहन देती थी| भाँग गांजे के जंगली पौधों की प्रचुर उपलब्धता के कारण लोग शराब खरीदने के लिए अपने पैसे बर्बाद नहीं करते थे, अपनी पत्नियों को नहीं पीटते थे, और किसी का कोई नुकसान नहीं करते थे| पर सरकार को इसमें कोई टेक्स नहीं मिलता था| बाद में शराब बनाने वाली कंपनियों के दबाव में आकर आर्थिक कारणों से वहाँ की सरकारों ने भंग-गांजे के सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया और शराब की खुली बिक्री की छूट दे दी|
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भारत में साधू संत अति प्राचीन काल से भांग गांजे का सेवन औषधि के रूप में करते आ रहे हैं| भांग-गांजे से अधिक हानि तो तम्बाकू से होती है| तम्बाकू खाकर लाखों लोग मरे हैं पर भांग या गांजा पीकर पूरे विश्व के इतिहास में आज तक एक भी व्यक्ति नहीं मरा है| सीमित मात्रा में नियमित भांग खाने वालों ने बहुत लम्बी उम्र पाई है| पर तम्बाकू और शराब की बिक्री टैक्स के रूप में सरकारी खजाने को भरती हैं, अतः सरकारें इन पर प्रतिबन्ध नहीं लगातीं, चाहे कितनी भी हानि जनता को होती रहे|
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हम हर बात में पश्चिम की नकल करते हैं, और पश्चिम की नक़ल कर के ही शराबखोरी को प्रोत्साहन दे रहे हैं| प्राचीन भारत के राजा बड़े गर्व से कहते थे कि उनके राज्य में कोई चोर नहीं है और कोई शराब नहीं पीता|
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अब बताता हूँ कि भारत में अंग्रेजी शराब का आगमन कैसे हुआ| भारत में आरम्भ में समुद्री मार्ग से जितने भी अंग्रेज़ आये वे सब समुद्री लुटेरे डाकू थे| एक पुर्तगाली जहाज को लूट कर उन्हें भारत आने का समुद्री नक्शा मिला जिसके आधार पर वे भारत में आ सके| अन्यथा वे लोग पहले तो भूमध्य सागर में बड़ी नौकाओं से सीरिया आते, जहाँ से पूर्वी तुर्की से आ रही युफ्रेतेस (Euphrates) या ताईग्रिस (Tigris) नदी के मार्ग से इराक़ होते हुए फारस की खाड़ी में शत-अल-अरब तक आते, जहाँ से फिर बड़ी नौका से फारस की खाड़ी और अरब सागर को पार कर भारत आते| इस मार्ग से आने वाले आधे से अधिक लोग तो रास्ते में ही बीमार होकर मर जाते थे, जो बचते थे उन्हें पुर्तगाली समुद्री लुटेरे लूट लेते थे| फिर उन्होंने इराक से ऊंटों पर बैठकर भारत आना आरम्भ किया पर इसमें भी अधिकाँश लोग रास्ते में ही बीमार होकर मरने लगे तो इस मार्ग का प्रयोग बंद कर दिया|
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जहाँ तक प्रमाण उपलब्ध हैं, भारत में सबसे पहले John Mildenhall नाम का एक अँगरेज़ आया था जिसने अकबर बादशाह से मिल कर उसे यूरोप से लाई हुई शराब और फिरंगी गुलाम युवतियाँ भेंट कर भारत में व्यापार करने की अनुमती ली| कुछ समय बाद वह आगरा में ही मर गया| William Hawkins नाम का एक समुद्री लुटेरा डाकू समुद्री मार्ग से सबसे पहले सूरत बंदरगाह पर आया| जहां से उसने कुछ भाड़े के अंगरक्षक सिपाही लिए और सूरत से घोड़ों पर बैठकर मुगल बादशाह जहाँगीर से मिलने आगरा आया और मुग़ल बादशाहों की कमजोरी फिरंगी गुलाम लड़कियाँ और खूब शराब भेंट कर भारत में व्यापार करने की अनुमति ली| फिर यूरोप से बहुत शराब भारत आने लगी| अँगरेज़ लोग मुग़ल बादशाहों से रियायत लेने के लिए उन्हें खूब शराब और फिरंगी गुलाम लड़कियाँ भेंट दिया करते थे| जब मुग़ल बादशाह अंग्रेजी शराब पीने लगे तो राजे रजवाड़ों को भी उसका चस्का लगने लगा|
गोवा में पुर्तगालियों ने बलात् खूब शराब पीने की आदत जन सामान्य में डाली और लोगों में नशे की आदत डालकर पाँच सौ वर्षों तक गोवा में राज्य किया|
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अब और तो क्या कर सकता हूँ, भगवान से प्रार्थना ही कर सकता हूँ कि भारत में एक दिन ऐसा अवश्य आये जब कोई शराबी और चोर नहीं हो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
११ जनवरी २०१८
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भारत में अंग्रेजों के आने से पूर्व मद्यपान बहुत ही कम लोग करते थे| यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि अंग्रेजों ने ही इसे अत्यधिक लोकप्रिय बनाया| अंग्रेजों के आने से पूर्व नशा करने वाले या तो भांग खाते थे या गांजा पीते थे जो इतनी हानि नहीं करते थे| भांग-गांजे के पौधे जंगली पौधे होते हैं जो हर कहीं उग सकते हैं, जिन से सरकार को कोई कर यानि टैक्स नहीं मिलता था, सिर्फ इसी लिए अंग्रेजी सरकार ने इन पर प्रतिबन्ध लगा दिया| चूंकि शराब पर चालीस प्रतिशत से अधिक कर लगता था जिस से सरकारी खजाने में खूब वृद्धि होती थी इसलिए अंग्रेजी सरकार ने शराब पीने को खूब प्रोत्साहन दिया| अंग्रेजों के जाने पश्चात भी भारत सरकार ने वही नीति बनाए रखी| अब भी राज्य सरकारें अपनी राजस्व वृद्धि के लिए शराब को जन सुलभ बनाकर उस के प्रयोग को अप्रत्यक्ष रूप से प्रोत्साहित करती हैं|
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मैं किसी भी तरह के नशे के विरुद्ध हूँ पर यहाँ ऐतिहासिक सत्य को बताना आवश्यक है| अमेरिका में जब गुलामी की प्रथा थी उस समय काले नीग्रो गुलाम लोगों के पास शराब खरीदने को पैसे नहीं होते थे, अतः वे भांग उगा कर भांग का ही नशा करते थे| अमेरिका में उस समय भांग बहुत लोकप्रिय थी और वहाँ की सरकार इसके उत्पादन को खूब प्रोत्साहन देती थी| भाँग गांजे के जंगली पौधों की प्रचुर उपलब्धता के कारण लोग शराब खरीदने के लिए अपने पैसे बर्बाद नहीं करते थे, अपनी पत्नियों को नहीं पीटते थे, और किसी का कोई नुकसान नहीं करते थे| पर सरकार को इसमें कोई टेक्स नहीं मिलता था| बाद में शराब बनाने वाली कंपनियों के दबाव में आकर आर्थिक कारणों से वहाँ की सरकारों ने भंग-गांजे के सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया और शराब की खुली बिक्री की छूट दे दी|
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भारत में साधू संत अति प्राचीन काल से भांग गांजे का सेवन औषधि के रूप में करते आ रहे हैं| भांग-गांजे से अधिक हानि तो तम्बाकू से होती है| तम्बाकू खाकर लाखों लोग मरे हैं पर भांग या गांजा पीकर पूरे विश्व के इतिहास में आज तक एक भी व्यक्ति नहीं मरा है| सीमित मात्रा में नियमित भांग खाने वालों ने बहुत लम्बी उम्र पाई है| पर तम्बाकू और शराब की बिक्री टैक्स के रूप में सरकारी खजाने को भरती हैं, अतः सरकारें इन पर प्रतिबन्ध नहीं लगातीं, चाहे कितनी भी हानि जनता को होती रहे|
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हम हर बात में पश्चिम की नकल करते हैं, और पश्चिम की नक़ल कर के ही शराबखोरी को प्रोत्साहन दे रहे हैं| प्राचीन भारत के राजा बड़े गर्व से कहते थे कि उनके राज्य में कोई चोर नहीं है और कोई शराब नहीं पीता|
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अब बताता हूँ कि भारत में अंग्रेजी शराब का आगमन कैसे हुआ| भारत में आरम्भ में समुद्री मार्ग से जितने भी अंग्रेज़ आये वे सब समुद्री लुटेरे डाकू थे| एक पुर्तगाली जहाज को लूट कर उन्हें भारत आने का समुद्री नक्शा मिला जिसके आधार पर वे भारत में आ सके| अन्यथा वे लोग पहले तो भूमध्य सागर में बड़ी नौकाओं से सीरिया आते, जहाँ से पूर्वी तुर्की से आ रही युफ्रेतेस (Euphrates) या ताईग्रिस (Tigris) नदी के मार्ग से इराक़ होते हुए फारस की खाड़ी में शत-अल-अरब तक आते, जहाँ से फिर बड़ी नौका से फारस की खाड़ी और अरब सागर को पार कर भारत आते| इस मार्ग से आने वाले आधे से अधिक लोग तो रास्ते में ही बीमार होकर मर जाते थे, जो बचते थे उन्हें पुर्तगाली समुद्री लुटेरे लूट लेते थे| फिर उन्होंने इराक से ऊंटों पर बैठकर भारत आना आरम्भ किया पर इसमें भी अधिकाँश लोग रास्ते में ही बीमार होकर मरने लगे तो इस मार्ग का प्रयोग बंद कर दिया|
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जहाँ तक प्रमाण उपलब्ध हैं, भारत में सबसे पहले John Mildenhall नाम का एक अँगरेज़ आया था जिसने अकबर बादशाह से मिल कर उसे यूरोप से लाई हुई शराब और फिरंगी गुलाम युवतियाँ भेंट कर भारत में व्यापार करने की अनुमती ली| कुछ समय बाद वह आगरा में ही मर गया| William Hawkins नाम का एक समुद्री लुटेरा डाकू समुद्री मार्ग से सबसे पहले सूरत बंदरगाह पर आया| जहां से उसने कुछ भाड़े के अंगरक्षक सिपाही लिए और सूरत से घोड़ों पर बैठकर मुगल बादशाह जहाँगीर से मिलने आगरा आया और मुग़ल बादशाहों की कमजोरी फिरंगी गुलाम लड़कियाँ और खूब शराब भेंट कर भारत में व्यापार करने की अनुमति ली| फिर यूरोप से बहुत शराब भारत आने लगी| अँगरेज़ लोग मुग़ल बादशाहों से रियायत लेने के लिए उन्हें खूब शराब और फिरंगी गुलाम लड़कियाँ भेंट दिया करते थे| जब मुग़ल बादशाह अंग्रेजी शराब पीने लगे तो राजे रजवाड़ों को भी उसका चस्का लगने लगा|
गोवा में पुर्तगालियों ने बलात् खूब शराब पीने की आदत जन सामान्य में डाली और लोगों में नशे की आदत डालकर पाँच सौ वर्षों तक गोवा में राज्य किया|
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अब और तो क्या कर सकता हूँ, भगवान से प्रार्थना ही कर सकता हूँ कि भारत में एक दिन ऐसा अवश्य आये जब कोई शराबी और चोर नहीं हो|
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ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
११ जनवरी २०१८
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