Thursday 17 May 2018

गीता पाठ में उच्चारण शुद्ध व सही होना चाहिए .....

गीता पाठ में उच्चारण शुद्ध व सही होना चाहिए| इसके लिए अनुष्टुप छंद का ज्ञान होना आवश्यक है| गीता के अधिकाँश श्लोक अनुष्टुप छंद में हैं|

जिन्हें अनुष्टुप छंद का ज्ञान नहीं है, उनसे मेरी प्रार्थना है कि वे अनुष्टुप छंद क्या है, इसे सीख लें| इसमें अधिक से अधिक पंद्रह-बीस मिनट लगेंगे| कोई भी साहित्य का विद्यार्थी इसे आराम से समझा देगा| इस छंद में कुल ३२ अक्षर होते हैं, हर पंक्ति में सौलह अक्षर होते हैं|

गीता पाठ करते समय हर पंक्ति के आठ अक्षर पहले पढ़ने हैं, फिर अल्पविराम देकर अगले आठ अक्षर| फिर अगली पंक्ति पर जाना है| सही व शुद्ध उच्चारण कैसे करें, यह सीखने में कोई शर्म की बात नहीं है| किसी भी विद्वान् पंडित से या आचार्य से शुद्ध उच्चारण करना सीख लें| उसके पश्चात ही गीता का पाठ आरम्भ करें|

धन्यवाद ! ॐ ॐ ॐ !!
१७ मई २०१८

1 comment:

  1. आज मुझे यह देखकर बड़ी पीड़ा हुई कि हमारे बच्चों को संस्कृत में गीता के श्लोकों का सही उच्चारण करना नहीं आता| गीता का ज्ञान ब्रह्मज्ञान है, और हर वाक्य ब्रह्मवाक्य है| अतः ब्रह्मवाक्य का उच्चारण तो सही होना चाहिए| देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी का जिस तरह से हम उच्चारण करते हैं, वैसा संस्कृत में नहीं होता| संस्कृत में उच्चारण करने का तरीका कुछ अलग होता है|
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    आजकल विद्यालयों की छुट्टियाँ चल रही हैं| मेरी सभी से प्रार्थना है कि इन छुट्टियों में बच्चों को सही और शुद्ध गीता का पाठ करना सिखाएँ| गीता का सही व शुद्ध उच्चारण कर के नियमित पढने से बच्चे कुशाग्र बुद्धि होंगे| हमें अपनी संस्कृति, धर्म और परम्पराओं का पूर्ण सम्मान करना चाहिए|
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    किसी भी मन्त्र का लाभ उसके सही व शुद्ध उच्चारण से ही होता है| गायत्री मन्त्र का लाभ भी तभी होगा जब हम उसका शुद्ध व सही उच्चारण करेंगे| अतः सभी को संस्कृत भाषा का सही व शुद्ध उच्चारण करना सीखना चाहिए| सधन्यवाद !
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    कृपा शंकर
    ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!
    १९ मई २०१८

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