Wednesday 28 July 2021

(१) भारत की एकमात्र समस्या और उसका समाधान क्या है?. (२) हमें भगवान की प्राप्ति क्यों नहीं होती?

 प्रश्न (१): भारत की एकमात्र समस्या और उसका समाधान क्या है?

प्रश्न (२): हमें भगवान की प्राप्ति क्यों नहीं होती?

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उत्तर (१): मेरी दृष्टि में भारत की एकमात्र और वास्तविक समस्या -- "राष्ट्रीय चरित्र" का अभाव है। अन्य सारी समस्याएँ सतही हैं, उनमें गहराई नहीं है। "राष्ट्रीय चरित्र" तभी आयेगा जब हमारे में सत्य के प्रति निष्ठा और समर्पण होगा। तभी हम चरित्रवान होंगे। इस के लिये दोष किसको दें? -- इसके लिए "धर्म-निरपेक्षता" की आड़ में बनाई हुई हमारी गलत शिक्षा-पद्धति और संस्कारहीन परिवारों से मिले गलत संस्कार ही उत्तरदायी हैं। देश की असली संपत्ति और गौरव उसके चरित्रवान सत्यनिष्ठ नागरिक हैं, जिनका निर्माण नहीं हो पा रहा है। कठोर प्रयासपूर्वक हमें भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था पुनर्स्थापित करनी होगी। यही एकमात्र उपाय है। मेरी दृष्टि में अन्य कोई उपाय नहीं है।
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उत्तर (२). हमें भगवान की प्राप्ति नहीं होती, और आध्यात्मिक मार्ग पर हम सफल नहीं होते। इसका एकमात्र कारण --- "सत्यनिष्ठा का अभाव" (Lack of Integrity and Sincerity) है। अन्य कोई कारण नहीं है। बाकी सब झूठे बहाने हैं। हम झूठ बोल कर स्वयं को ही धोखा देते हैं। परमात्मा "सत्य" यानि सत्यनारायण हैं। असत्य बोलने से वाणी दग्ध हो जाती है, और दग्ध वाणी से किये हुए मंत्रजाप व प्रार्थनाएँ निष्फल होती हैं। वास्तव में हमने भगवान को कभी चाहा ही नहीं। चाहते तो "मन्त्र वा साधयामि शरीरं वा पातयामि" यानि या तो मुझे भगवान ही मिलेंगे या प्राण ही जाएँगे; इस भाव से साधना करके अब तक भगवान को पा लिया होता। हमने कभी सत्यनिष्ठा से प्रयास ही नहीं किया। ज्ञान और अनन्य भक्ति की बातें वे ही समझ सकते हैं, जिनमें सतोगुण प्रधान है। जिनमें रजोगुण प्रधान है, उन्हें कर्मयोग ही समझ में आ सकता है, उस से अधिक कुछ नहीं। जिनमें तमोगुण प्रधान है, वे सकाम भक्ति से अधिक और कुछ नहीं समझ सकते। उनके लिये भगवान एक साधन, और संसार साध्य है। इन तीनों गुणों से परे तो दो लाख में कोई एक महान आत्मा होती है। हमें सदा निरंतर इस तरह के प्रयास करते रहने चाहियें कि हम तमोगुण से ऊपर उठ कर रजोगुण को प्राप्त हों, और रजोगुण से भी ऊपर उठकर सतोगुण को प्राप्त हों। दीर्घ साधना के पश्चात हम गुणातीत होने में भी सफल होंगे।
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अब और कुछ लिखने को रहा ही नहीं है। आप सब बुद्धिमान हैं। मेरे जैसे अनाड़ी की बातों को पढ़ा, इसके लिए मैं आप सब का आभारी हूँ।
आप सब को सादर नमन !! ॐ तत्सत् !! 🔥🌹🙏🕉🕉🕉🙏🌹🔥
कृपा शंकर
१४ जून २०२१

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