अपने समय के एक-एक क्षणका सदुपयोग
और ईश्वर प्रदत्त विवेक के प्रकाश में सारे कार्य करें .....
>>>
हमें अपने समय के एक एक क्षण का सदुपयोग करना होगा अन्यथा हम स्वयं को क्षमा नहीं कर पाएंगे | आग लगने पर कुआँ नहीं खोदा जा सकता, कुएँ को तो पहिले से ही खोद कर रखना पड़ता है|
.
जिस भौतिक विश्व में हम रहते हैं, उससे भी बहुत अधिक बड़ा एक सूक्ष्म जगत भी हमारे चारों ओर है, जिसमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह की सत्ताएँ हैं|
.
जितना हम अपनी दिव्यता की ओर बढ़ते हैं, ये नकारात्मक शक्तियां उतनी ही प्रबलता से हम पर अधिकार करने का प्रयास करती हैं| सबसे पहिले वे हमारा मनोबल क्षीण करती हैं| इनका उपकरण बनने से बचने के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है| इसके लिए निरंतर हरि स्मरण, सत्संग, स्वाध्याय और कुसंग-त्याग व सात्विक भोजन ये ही उपाय हैं| अपने विचारों और भावों पर सदा ध्यान रखें और अच्छे संकल्प करें|
और ईश्वर प्रदत्त विवेक के प्रकाश में सारे कार्य करें .....
>>>
हमें अपने समय के एक एक क्षण का सदुपयोग करना होगा अन्यथा हम स्वयं को क्षमा नहीं कर पाएंगे | आग लगने पर कुआँ नहीं खोदा जा सकता, कुएँ को तो पहिले से ही खोद कर रखना पड़ता है|
.
जिस भौतिक विश्व में हम रहते हैं, उससे भी बहुत अधिक बड़ा एक सूक्ष्म जगत भी हमारे चारों ओर है, जिसमें नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह की सत्ताएँ हैं|
.
जितना हम अपनी दिव्यता की ओर बढ़ते हैं, ये नकारात्मक शक्तियां उतनी ही प्रबलता से हम पर अधिकार करने का प्रयास करती हैं| सबसे पहिले वे हमारा मनोबल क्षीण करती हैं| इनका उपकरण बनने से बचने के लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है| इसके लिए निरंतर हरि स्मरण, सत्संग, स्वाध्याय और कुसंग-त्याग व सात्विक भोजन ये ही उपाय हैं| अपने विचारों और भावों पर सदा ध्यान रखें और अच्छे संकल्प करें|
भगवान सबकी रक्षा करें| हमारा समर्पण पूर्ण हो| ॐ गुरु ! जय गुरु !
ॐ ॐ ॐ !!
ॐ ॐ ॐ !!
No comments:
Post a Comment