Wednesday 22 May 2019

१९४२ में ही भारत स्वतंत्र हो सकता था .....

भारत के राजनेता १९४२ में यदि क्रिप्प्स कमीशन का प्रस्ताव स्वीकार कर लेते तो भारत खंडित नहीं होता व १९४२ में ही स्वतंत्र होकर एक महाशक्ति होता .....
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अप्रेल १९४२ में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने स्टैफ़ोर्ड क्रिप्प्स को भारत को एक अधिराज्य के रूप में स्वतन्त्रता देने के प्रस्ताव के साथ भारत भेजा था| उस प्रस्ताव में न तो कोई विभाजन की बात थी, और न ही श्रीलंका को भारत से पृथक करने की| श्रीलंका उस समय भारत का ही भाग था| श्री अरविन्द उस प्रस्ताव के पक्ष में थे| उन्होंने गाँधी व नेहरु को समझाने के लिए एक आदमी भी भेजा पर गाँधी और नेहरू ने उस प्रस्ताव को मानने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें सत्ता सुभाषचंद्र बोस के हाथ में जाने का भय था|
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गाँधी और नेहरु ने लगातार भारत के विभाजन पर जोर दिया| देश को धोखा देने के लिए गाँधी ने झूठ बोला कि देश का विभाजन उसकी मृत देह पर ही होगा| परस्त्रीगामी नेहरु अपनी प्रेमिका लेडी एडविना के माध्यम से उसके पति लार्ड माउंटबैटन को भारत के विभाजन और स्वयं को खंडित भारत का प्रधानमंत्री बनाने का अनुरोध भिजवाता रहा| कांग्रेस में नेहरु को कोई समर्थन नहीं था| सत्ता हस्तांतरण के पश्चात भी नेहरु ने ब्रिटिश गवर्नर जनरल व स्थल सेना प्रमुख को दो वर्ष तक रखा था| उस समय भी नेहरु ने पाक से समर्थन माँगा और पाकिस्तान में तीस करोड़ हिन्दुओं की ह्त्या और कश्मीर पर आक्रमण करवाने के लिए पाकिस्तान को ५५ करोड़ रुपये दिलवाए| उसी के परिणामस्वरूप कश्मीर का अधिकाँश भाग आज भी पाकिस्तान के अधिकार में है|
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भारत को एक अधिराज्य न मानने का अन्य कोई कारण नहीं था, सिर्फ सुभाष चन्द्र बोस का भय था| विडम्बना है कि भारत आज भी ब्रिटिश Commonwealth का भाग है| अगर भारत अधिराज्य भी रहता तो वैसे ही होता जैसे आज ऑस्ट्रेलिया है, जो भारत से भी अधिक स्वतंत्र है|
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यदि क्रिप्स कमीशन की बात मान ली जाती तो भारत आज एक महाशक्ति होता, कोई विभाजन नहीं होता| नेहरु ने मूर्खतापूर्ण तरीके से तिब्बत चीन को सौंप दिया, और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता को चीन के पक्ष में त्याग दिया| चीन के राजनीतिक नेतृत्व ने नेहरु की हँसी ही उडाई जो अपने स्वयं के देश को बर्बाद कर के विश्वनेता बनना चाहता था|
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आज भी भारत में सिर्फ अंग्रेजी बोलने वाली पीढ़ी स्वयं को अँगरेज़ ही मानती है, और बीबीसी व टाइम जैसी पत्रिकाओं में सत्य को ढूँढती है|

कृपा शंकर
१४ मई २०१९
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पुनश्चः --- अंग्रेज १९३५ में ही भारत को स्वतन्त्र करने का निर्णय कर चुके थे। Government of India Act 1935 बनाया था जिसकी नकल अभी का भारतीय संविधान है। उसके बाद पहले राज्यों में चुनाव करा कर भारतीय नेताओं को मुख्यमंत्री बना दिया। उसके ५ वर्ष बाद वे पूरे भारत में भारतीय को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे। गान्धी नेहरू को कहीं भी बहुमत नहीँ आ रहा था, अतः पहले सुभाष चन्द्र बोस को भगाया, फिर विभाजन की जोड़ तोड़ शुरू की।

1 comment:

  1. अंग्रेज १९३५ में ही भारत को स्वतन्त्र करने का निर्णय कर चुके थे। Government of India Act 1935 बनाया था जिसकी नकल अभी का भारतीय संविधान है। उसके बाद पहले राज्यों में चुनाव करा कर भारतीय नेताओं को मुख्यमंत्री बना दिया। उसके ५ वर्ष बाद वे पूरे भारत में भारतीय को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे। गान्धी नेहरू को कहीं भी बहुमत नहीँ आ रहा था, अतः पहले सुभाष चन्द्र बोस को भगाया, फिर विभाजन की जोड़ तोड़ शुरू की।

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