Tuesday 31 January 2017

अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति कैसे मिले ????? .......

अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति कैसे मिले ????? .......
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मैं कुछ बातें प्रबुद्ध पाठकों से जानना चाहता हूँ| यदि हो सके तो कृपया मुझे इसकी जानकारी दें| यह मैं मात्र अपनी जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ, किसी के प्रति द्वेष की भावना मेरे में नहीं है| मैं यही जानना चाहता हूँ की अल्पसंख्यकवाद का वैधानिक आधार क्या है जिसे मैं अपनी अल्प और सीमित बुद्धि से समझ नहीं पाया हूँ|
(1) विश्व के किस देश में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का आधिकारिक व संवेधानिक दर्जा प्राप्त है, और उन्हें अल्पसंख्यक के नाम पर क्या सुविधा मिलती है ? क्या भारत के भी किसी प्रांत में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त है ?
(2) भारत में जब धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों को विशेष सुविधा प्राप्त है तो यह सुविधा यहूदी व पारसी धर्म के अनुयायियों को क्यों नहीं है ? अल्पसंख्यक आयोग में एक भी यहूदी नहीं है|
(3) जब धर्म के नाम पर कुछ अल्पसंख्यकों को भारत में विशेष सुविधाएं प्राप्त हैं तो ये सुविधाएँ उन लोगों को क्यों नहीं है जो स्वतंत्र विचारक हैं और किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखते ? वे भी तो धार्मिक अल्पसंख्यक है|
(4) भारत सरकार ने जैन मतावलंबियों को अल्पसंख्यक घोषित किया है| यहाँ मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ| श्रमण परम्परा में भगवान महावीर स्वामी तो जन्मजात वर्ण व्यवस्था के घोर विरुद्ध थे| उनका कथन था कि बिना कैवल्य पद को प्राप्त किये कोई सत्य का बोध नहीं कर सकता| जैन धर्म का लक्ष्य ही 'वीतरागता' है, और जैन वह है जो जितेन्द्रिय है| अतः 'जैन' कोई जाति नहीं हो सकती, अपितु एक मत है| जैन धर्म का पालन करने के लिए जैन परिवार में जन्म लेना अनिवार्य नहीं है, कोई भी जैन धर्म का पालन कर सकता है और नहीं भी कर सकता| अतः जैन मतावलम्बी किस आधार से अल्पसंख्यक हुए यह मेरी समझ से परे है| मेरा निवेदन है की कोई इस पर प्रकाश डाले|
(5) कई वर्षों पूर्व 'रामकृष्ण मिशन' और 'आर्य समाज' ने स्वयं को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किये जाने का अनुरोध किया था जिसे ठुकरा दिया दिया गया था| जिस आधार पर वह ठुकराया गया था वह भी मेरी समझ से परे है| मेरा अनुरोध है कि कोई मुझे समझाये|
(6) इस प्रकार से तो सनातन वैदिक धर्म को मानने वाले भी भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं|
उन को भी अल्पसंख्यक की श्रेणी में सम्मिलित किये जाने के लिए आन्दोलन करना चाहिए|
इतना ही नहीं जितने भी सम्प्रदाय और मत-मतान्तर भारत में हैं उन सब को अपने आप को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित करवाने के लिए आन्दोलन करना चाहिए|
(7)जब सभी अपने आप को अल्पसंख्यक घोषित करवाने की चेष्टा करेंगे तभी भारत को अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति मिलेगी| अन्य कोई मार्ग नहीं है| भारत में सभी लोग धार्मिक अल्पसंख्यक हैं क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि अल्पसंख्यक होने का मापदंड क्या है|
मेरा अनुरोध है की इस विषय पर एक राष्ट्रीय बहस छेड़ी जाए क्योंकि यह एक राष्ट्रीय महत्त्व का मुद्दा है| धन्यवाद|
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सब का कल्याण हो| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय|
शिवोहं शिवोहं शिवोहं अयमात्मा ब्रह्म | ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ||
कृपा शंकर
माघ कृ.७ वि.स.२०७२, 31 जनवरी 2016

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