Monday 14 February 2022

१४ फरवरी को अपने माता-पिता के चरण कमलों की पूजा करें, और इसे "मातृ-पितृ पूजा-दिवस" के रूप में मनायें ---

 १४ फरवरी को अपने माता-पिता के चरण कमलों की पूजा करें, और इसे "मातृ-पितृ पूजा-दिवस" के रूप में मनायें ---

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पश्चिमी देशों में मनाए जाने वाला "वेलेंटाइन डे" भारत के लिये सांस्कृतिक पतन की पराकाष्ठा है। ईसा की तीसरी शताब्दी तक यूरोप के लोग कुत्तों की तरह यौन सम्बन्ध रखते थे। कहीं कोई नैतिकता नहीं थी। ऐसे समय में रोम में वेलेंटाइन नाम के एक पादरी ने कहना आरम्भ किया कि यह अच्छी बात नहीं है। पादरी वेलेंटाइन ने लोगों को सिखाना शुरू किया कि एक प्रेमी या प्रेमिका चुन कर सिर्फ उसी से शारीरिक संबंध बनाओ, फिर उसी को प्यार करो, और उसी से विवाह करो। उसने प्रेमी-प्रेमिकाओं की शादी करानी शुरू कर दी, जिससे वहाँ के लोग नाराज़ हो गए। वहाँ के समाज में बिना विवाह के रखैलें रखना बहुत बड़ी शान समझी जाती थी, और स्त्री का स्थान मात्र एक भोग की वस्तु था।
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रोम के राजा क्लोडियस ने उन सब जोड़ों को एकत्र किया जिनका विवाह वेलेंटाइन ने कराया था और १४ फरवरी ४९८ ई. को सबके सामने खुले मैदान में पादरी वेलेंटाइन को फाँसी पर चढ़ा दिया। उसका अपराध था कि उसने स्त्री-पुरुषों की शादी करवाना आरंभ कर दिया था। उस पादरी वैलेंटाइन की याद में १४ फ़रवरी को वहाँ के प्रेमी प्रेमिकाओं ने वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया जो उस दिन से यूरोप में मनाया जाता है।
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भारत में लड़के-लड़िकयाँ बिना सोचे-समझे एक दुसरे को वैलेंटाइन डे का कार्ड दे रहे हैं। कार्ड में लिखा होता है " Would You Be My Valentine" जिसका मतलब होता है "क्या तुम मेरे से शादी करोगे?" मतलब तो किसी को मालूम होता नहीं है, वे समझते हैं कि जिससे हम प्यार करते हैं उन्हें ये कार्ड दे देना चाहिए। इसी कार्ड को वे अपने माँ-बाप और दादा-दादी को भी दे देते हैं। एक दो नहीं, दस-बीस लोगों को भी यह कार्ड वे दे देते हैं। इस धंधे में बड़ी-बड़ी कई कंपनियाँ लग गयी हैं जिनको कार्ड बेचना है, जिनको गिफ्ट बेचनी है, और जिनको चाकलेट बेचनी है। टेलीविजन चैनल वाले इसका जबरदस्त प्रचार करते हैं। भगवान सभी वेलेंटाइनों को सद्बुद्धि दे। प्रेम ही करना है तो भगवान से करो।
कृपा शंकर
१३ फरवरी २०२२

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