इस राष्ट्र में धर्म रूपी बैल पर बैठकर भगवान शिव ही विचरण करेंगे, भगवान श्रीराम के धनुष की ही टंकार सुनेगी, और नवचेतना को जागृत करने हेतु भगवान श्रीकृष्ण की ही बांसुरी बजेगी।
हमारे हृदय के एकमात्र राजा श्रीराम हैं। उन्होंने ही सदा हमारी हृदय-भूमि पर राज्य किया है, और सदा वे ही हमारेे राजा रहेंगे। हमारे हृदय की एकमात्र महारानी भगवती सीता जी हैं। वे ही हमारी गति हैं। अन्य किसी का राज्य हमें स्वीकार्य नहीं है।
राम से एकाकार होने तक हमारे हृदय में प्रज्ज्वलित अभीप्सा की प्रचंड अग्नि का दाह नहीं मिटेगा। राम से पृथक होने की यह घनीभूत पीड़ा हर समय हमें निरंतर दग्ध करती रहेगी। राम ही हमारे अस्तित्व हैं, और उनसे एक हुए बिना इस भटकाव का अंत नहीं होगा।
ॐ तत्सत् !!
१५ दिसंबर २०२१
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