जो शास्त्रीय मर्यादा में जी रहे हैं उन्हें कोरोना वायरस तो क्या, किसी भी तरह की अकाल मृत्यु की आशंका नहीं है| "चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः|"
इस शरीर-महाराज रूपी विमान के चालक ही नहीं, यह विमान भी वे स्वयं ही हैं ..... जीवन और मृत्यु जिन का एक विचार मात्र है| उन्हीं का आश्रय है|
आज के इस चुनौती भरे समय में हम परमात्मा में प्रतिष्ठित होकर उनके प्रकाश का विस्तार करें| हमारी हर क्रिया में उनकी अभिव्यक्ति हो| यही हमारा स्वधर्म / परमधर्म है| हमारे जन्म का उद्देश्य ही यही है| हमारा जन्म इसीलिए हुआ है कि हम इस स्वधर्म का पालन करते-करते ही संसार में रहें और इस का पालन करते करते ही संसार से विदा लें| यदि हम स्वधर्म का पालन नहीं कर रहे हैं तो इस पृथ्वी पर एक भार ही हैं| ॐ तत्सत्|
कृपा शंकर
१८ मार्च २०२०
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