हमारी निष्ठा पूर्णतः आत्मा में ही हो, अनात्मा की ओर तो कदापि नहीं ---
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मन में अच्छे विचार रखें, और भगवान का खूब ध्यान करें। हमारे चिंतन, विचार, और आचरण का प्रभाव हमारी चारों ओर की प्रकृति पर पड़े बिना नहीं रहता। हमारे प्रदूषित विचार और गलत आचरण ही हमारे विनाश का कारण होंगे।
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जिस तीब्र गति से बुरे लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है उसके अनुपात में भूमि और संसाधन नहीं बढ़ रहे हैं। प्रकृति या तो अपने स्तर पर भूकंप, बाढ़, अकाल आदि के रूप में बदला लेगी, या मनुष्य की बुद्धि का नाश कर युद्ध आदि छिड़वा कर विनाश करवायेगी।
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निरीह मूक पशु-पक्षियों की रक्षा करें, अन्यथा मनुष्य जीवन भी नहीं बचेगा। देसी नस्ल की गायों का संवर्धन करें, और उन्हें अच्छी खुराक दें। उपयोगी छायादार वृक्ष खूब लगायें। गोहत्या के कलंक से मुक्त हो हमारी संस्कृति।
आने वाला समय अच्छा नहीं है। सत्यनिष्ठ धर्मावलम्बियों की रक्षा महादेव स्वयं करेंगे।
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हरिः ॐ तत्सत् !! ॐ स्वस्ति !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
६ जून २०२२