असत्य का अंधकार दूर हो, अधर्म का नाश हो, धर्म की जय हो। यह राष्ट्र अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान हो।
Saturday, 5 July 2025
असत्य का अंधकार दूर हो, अधर्म का नाश हो, धर्म की जय हो। यह राष्ट्र अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान हो। .
दोनों आँखों के मध्य में स्वर्ग का द्वार है। आज्ञा चक्र का वेधन - स्वर्ग में प्रवेश है ---
दोनों आँखों के मध्य में स्वर्ग का द्वार है। आज्ञा चक्र का वेधन - स्वर्ग में प्रवेश है।
जो भी तुमको स्व से दूर करता हो वो पाप है, और जो तुमको स्व की तरफ लाता हो वो पुण्य है ---
ब्रह्मरंध्रे मनः दत्त्वा क्षणार्द्धमपि तिष्ठति ।
दोनों आँखों के मध्य में स्वर्ग का द्वार है ..... (amended) .
दोनों आँखों के मध्य में स्वर्ग का द्वार है ..... (amended)
आधुनिक विज्ञान में यहूदियों का योगदान ....,
आधुनिक विज्ञान में यहूदियों का योगदान ....,
हमारा उद्देश्य है -- ईश्वर यानि परमात्मा को समर्पित होना
"ईश्वर यानि परमात्मा की प्राप्ति" एक गलत वाक्य है, और ईश्वर को प्राप्त करने की बात ही गलत है, क्योंकि ईश्वर तो हमें सदा से ही प्राप्त है। हम कोई मंगते/भिखारी नहीं, ईश्वर के अमृतपुत्र हैं। जहां भी कोई मांग होती है, वह व्यापार ही होता है। परमात्मा से कुछ मांगना, उनके साथ व्यापार करना है। हमारा उद्देश्य है -- ईश्वर यानि परमात्मा को समर्पित होना, न कि उन के साथ व्यापार करना।
"महात्मा" की पहिचान क्या है? हम किसे "महात्मा" कह सकते हैं?
(प्रश्न) : "महात्मा" की पहिचान क्या है? हम किसे "महात्मा" कह सकते हैं?
दोनों आँखों के मध्य में स्वर्ग का द्वार है, आज्ञाचक्र का भेदन ही स्वर्ग में प्रवेश है --
दोनों आँखों के मध्य में स्वर्ग का द्वार है, आज्ञाचक्र का भेदन ही स्वर्ग में प्रवेश है --
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् --
"वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥"