अगले पचास वर्षों बाद सम्पूर्ण विश्व में केवल सनातन धर्म ही होगा। पूरा विश्व ही एक राष्ट्र होगा।
सनातन को ही आजकल हिन्दू धर्म कहते है। सनातन और हिन्दुत्व में क्या भेद है? कुछ भी नहीं। पूरी सृष्टि ही सनातन धर्म से चल रही है। हम शाश्वत आत्मा है, जिसका स्वधर्म -- परमात्मा की प्राप्ति है। इसके दस लक्षण मनुस्मृति में दिए हैं, कणाद सूत्रों में जिसे परिभाषित किया गया है, वही सत्य सनातन धर्म है। वही हमारी रक्षा करेगा।
धर्म एक ही है, वह सनातन है। अन्य सब मत और पन्थ हैं, जिन्हें हम रिलीजन और मजहब कहते हैं। धर्म वह है जिसे धारण किया जाता है। पन्थ और रिलीजन -- मान्यताओं पर आधारित होते हैं। मान्यता सनातन नहीं हो सकती, वह नश्वर है। केवल सनातन ही शाश्वत है। पूरा विश्व ही एक राष्ट्र होगा।
ॐ तत्सत्!!
कृपा शंकर
१ अक्टूबर २०२४