मैं द्वैत और अद्वैत -- दोनों की बातें करता हूँ, इससे कोई भ्रमित न हो। ये दोनों मनोभूमियाँ हैं, और दोनों ही सत्य हैं ---
Thursday, 1 May 2025
मैं द्वैत और अद्वैत -- दोनों की बातें करता हूँ, इससे कोई भ्रमित न हो। ये दोनों मनोभूमियाँ हैं, और दोनों ही सत्य हैं ---
"अव्यभिचारिणी भक्ति" का तात्पर्य क्या है?
"अव्यभिचारिणी भक्ति" का तात्पर्य क्या है?
सफलता-असफलता, खोया-पाया, और कर्म-अकर्म ---
(जिसे स्वयं सुधरने की आवश्यकता है, वह दूसरों को क्या सुधार सकता है?)
मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि सम्पूर्ण विश्व में सत्य-सनातन-धर्म की पुनःप्रतिष्ठा हो, और भारत से असत्य का अंधकार सदा के लिए दूर हो।
मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि सम्पूर्ण विश्व में सत्य-सनातन-धर्म की पुनःप्रतिष्ठा हो, और भारत से असत्य का अंधकार सदा के लिए दूर हो।
नित्य प्रातः दो घंटे, और रात्रि को दो घंटे, जो श्रद्धालु हैं, वे भगवान का ध्यान करें। जिन्हें ध्यान का अभ्यास नहीं है, वे जपयोग करें। ध्यान अपने आप ही होने लगेगा। आप भगवान को सदा अपने साथ पायेंगे। जिनके पास समय है, वे सप्ताह में एक दिन, कम से कम आठ घंटे भगवान का ध्यान करें।
हम यह देह ही नहीं हैं, तब ये परिजन हमारे कैसे हुए? -----
हम यह देह ही नहीं हैं, तब ये परिजन हमारे कैसे हुए? ---
स्वयं परमात्मा ही हमारी रक्षा कर सकते हैं, पर उनके प्रति समर्पित तो हमें ही होना होगा .....
स्वयं परमात्मा ही हमारी रक्षा कर सकते हैं, पर उनके प्रति समर्पित तो हमें ही होना होगा .....
सत्य की खोज ही परमात्मा की खोज है ---
सत्य की खोज ही परमात्मा की खोज है।
हम किस देवी/देवता या परमात्मा के किस रूप की निरंतर भक्ति करें?
(प्रश्न) हम किस देवी/देवता या परमात्मा के किस रूप की निरंतर भक्ति करें? हर समय किन का ध्यान करें? हमारा पूर्ण समर्पण परमात्मा के किस रूप के प्रति हो?
आज विश्व मजदूर दिवस है ---
आज विश्व मजदूर दिवस है।
ब्रह्मशक्ति क्या है? यह जागृत कैसे हो?
ब्रह्मशक्ति क्या है? यह जागृत कैसे हो?
जोधपुर की एक पुरानी स्मृति ---
वैशाख शुक्ल ५ तदनुसार ३० अप्रेल २०१७ को आद्य शंकराचार्य जयंती पर मैं कांची कामकोटी पीठम् की जोधपुर शाखा में स्वामी मृगेंद्र सरस्वती जी का मेहमान था| वहाँ सभी से मुझे जो प्रेम और मान-सम्मान मिला उसके लिए मैं पूज्यपाद स्वामी जी और उनसे जुड़ी सभी दिव्यात्माओं का ह्रदय से आभारी हूँ|
जीवन बहुत छोटा है अतः कैसे इस का सदुपयोग किया जाए इस पर विचार करें
"रामनाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार| तुलसी भीतर बाहिरऊ, जो चाहसि उजियार||"
रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के सोयें ---
रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान कर के सोयेंगे, तो अगले दिन प्रातःकाल आपकी नींद भगवान की गोद में ही खुलेगी।







निरंतर परमात्मा का चिंतन ही मेरा कर्म, भक्ति और ज्ञान है ---
निरंतर परमात्मा का चिंतन ही मेरा कर्म, भक्ति और ज्ञान है। इस जीवन में अब एकमात्र आकर्षण परमात्मा का ही रह गया है। किसी भी तरह के वाद-विवाद, दर्शन शास्त्र, और सिद्धांतों में अब कोई रुचि नहीं रही है। जब ईश्वर स्वयं सदा समक्ष हैं, तब अन्य कुछ भी नहीं चाहिए।
मृत्यु के समय हम स्वयं को भगवान की गोद में ही पायेंगे । अब कैसी प्रार्थना? जिनके लिए प्रार्थना करते हैं, वे तो स्वयं यहाँ साक्षात् बिराजमान हैं। मैं उनके साथ एक हूँ। सारे भेद समाप्त हो गए हैं। दिन में २४ घंटे, सप्ताह में सातों दिन, सिर्फ आप ही आप रहें, मैं नहीं। रात्रि को सोने से पूर्व भगवान का ध्यान निमित्त भाव से कर के इस तरह सो जाएँ जैसे एक छोटा बालक अपनी माँ की गोद में सो रहा है। अगले दिन प्रातःकाल उठेंगे, तब स्वयं को भगवान की गोद में ही पाएंगे। आप स्वयं को धन्य मानेंगे कि भगवान स्वयं ही आपको याद कर लेते हैं। यदि यही दिनचर्या बनी रहेगी तो मृत्यु के समय भी आप स्वयं को भगवान की गोद में ही पायेंगे।