ब्रह्मशक्ति क्या है? यह जागृत कैसे हो?
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इसकी अनुभूति परमात्मा के गहन ध्यान में होती है। इसे शब्दों में व्यक्त करना इस समय तो मेरे लिए असंभव है, क्योंकि मैं अभी कक्षा प्रथम का ही विद्यार्थी हूँ, लक्ष्य तक पहुँचने के लिए बहुत कुछ होना बाकी है। फिर भी थोड़ा-बहुत प्रयास करता हूँ।
जो जिज्ञासु इस विषय को समझना चाहते हैं, वे एक बार अपनी पूरी एकाग्रता व भक्ति से श्रीमद्भगवद्गीता के तेरहवें अध्याय (क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विभाग योग) का स्वाध्याय करें, और भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें। भगवान श्रीकृष्ण की परमकृपा ही हमारे अंतस के अंधकार को दूर कर, हमें ज्ञान प्रदान कर सकती है।
"वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्॥"
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने, प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः॥"
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥"
कृपा शंकर
२७ अप्रेल २०२५
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