Thursday, 1 May 2025

हम किस देवी/देवता या परमात्मा के किस रूप की निरंतर भक्ति करें?

 (प्रश्न) हम किस देवी/देवता या परमात्मा के किस रूप की निरंतर भक्ति करें? हर समय किन का ध्यान करें? हमारा पूर्ण समर्पण परमात्मा के किस रूप के प्रति हो?

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(उत्तर) परमात्मा का जो रूप हमें सर्वप्रिय है, जिस रूप को हम समर्पित होना चाहते हैं, यानि जिस रूप में हम स्वयं व्यक्त होना चाहते है, उसी का ध्यान करें, और उसी की आराधना करें। हमारा लक्ष्य परमात्मा को पूर्ण समर्पण है। कुछ भी अपने लिए बचाकर न रखें, अपना सम्पूर्ण अस्तित्व परमात्मा को समर्पित कर दें।
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चेतावनी -- भगवान के विभिन्न रूपों, अवतारों व नामों में ऊंच-नीच का भेदभाव करना, या उनको छोटा-बड़ा मानना महापाप है।
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मैं मूर्ति-पूजा का भी समर्थक हूँ। मेरी दृष्टि में साकार और निराकार में कोई भेद नहीं है। सारे आकार जिसके हों, वह निराकार है। जिस की भी सृष्टि हुई है उसका कुछ न कुछ आकार अवश्य है -- चाहे शब्द रूप में हो, या प्रकाश रूप में। सारे आकार परमात्मा के हैं। वे इन आकारों में, और इन से परे भी हैं।
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कुछ लोग अपने गुरु को 'सच्चा गुरु' बताते हैं और दूसरों के गुरु को झूठा गुरु। बड़ी विचित्र बात है ! उनके लिए गुरु मनुष्य है या तत्व? स्वयं को वे लोग यह शरीर मानते हैं। उन सब को दूर से ही प्रणाम !! ॐ ॐ ॐ !!
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वर्तमान भारत की समस्याएँ बड़ी विकट हैं। उन्हें सुलझाना दैवीय प्रयासों से ही संभव है, मानवीय प्रयासों से नहीं। धर्म के नाम पर अधर्म इतनी गहराई से छा गया है कि सारे मानवीय प्रयास विफल हो रहे हैं। कई बार तो लगता है कि इस पृथ्वी पर आसुरी तमोगुण का ही वर्चस्व है। धीरे धीरे प्रगति तो अवश्य हो रही है लेकिन नगण्य है।
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निराश होने की बात नहीं है। परमात्मा स्वयं ही यह सृष्टि बन गए हैं। उनके लिए सब संभव है। यदि उनके भक्त को कोई ऐसी वस्तु चाहिए जिसका इस सृष्टि में निर्माण ही नहीं हुआ है, तो वह भी उनके द्वारा निर्मित कर दी जायेगी। हम निज जीवन में परमात्मा को व्यक्त करेंगे तो वे राष्ट्र में और देश में भी व्यक्त होंगे।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१ मई २०२५

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