Sunday, 18 May 2025
"ऊर्ध्वमूल" का रहस्य --- (भाग २)
"ऊर्ध्वमूल" का रहस्य --- (भाग १)
"श्री" एक वेदिक शब्द है। इस शब्द का मुख्य अर्थ क्या होता है?
"श्री" एक वेदिक शब्द है। इस शब्द का मुख्य अर्थ क्या होता है?
पुण्य, पाप और धर्म क्या है ?
पुण्य, पाप और धर्म क्या है ? --- जो कर्म आत्म-तत्व का बोध करायें, वे मेरे लिए पुण्य हैं। जो कर्म मुझे आत्म-तत्व को विस्मृत करायें, वे मेरे लिए पाप हैं। निज जीवन में परमात्मा की यथासंभव पूर्ण अभिव्यक्ति" ही धर्म है। यही मेरा प्राण, और मेरी अस्मिता है।
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भगवान मिलें या न मिलें, इस बारे सोचना ही छोड़ दें। भगवान तो मिले हुए ही हैं। भगवान कहीं दूर नहीं, हमारे साथ एक हैं। किसी भी शिवालय में भगवान शिव के वाहन नंदी का मुंह सदा शिवलिंग की ओर ही होता है। अतः हमारी दृष्टी निज-आत्मा यानी आत्म-तत्व (कूटस्थ) की ओर ही हर समय होनी चाहिए क्योंकि हमारी यह देह हमारी आत्मा का वाहन है।
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जिहादी देश पाकिस्तान, और उसके समर्थकों का अस्तित्व समाप्त हो ---
आज भारत के अनेक स्थानों पर जिहादी आक्रमण के शिकार हिंदुओं की चिताएँ जल रही हैं। उन सब को श्रद्धांजलि। आज शोक का दिन है। कोई खुशी नहीं मना सकते। कश्मीर में पहलगाँव घूमने जाने वाले हिन्दू पर्यटकों के गुप्तांगों की जांच कर, उनका धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने उनकी नृशंस हत्या की गई थी।
हिंदुओं में यदि संतान उत्पन्न करने की दर यही रही तो अगले ५० वर्षों में भगवान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं ---
हिंदुओं में यदि संतान उत्पन्न करने की दर यही रही तो अगले ५० वर्षों में भगवान ही हमारी रक्षा कर सकते हैं। फिर हिन्दू -- म्यूजियम में ही दिखेंगे।
हमारे विखंडित बिखरे विचारों के ध्रुव स्वयं सच्चिदानंद हों ---
हमारे विखंडित बिखरे विचारों के ध्रुव स्वयं सच्चिदानंद हों। जो साधक कोई साधना नहीं करता, केवल प्रभावशाली बातें ही करता है, वह संसार को तो मूर्ख बना सकता है, लेकिन परमात्मा को नहीं। वह अपने अहंकार को ही तृप्त कर रहा है, अपनी आत्मा को नहीं। आत्मा की अभीप्सा, परमात्मा की प्रत्यक्ष अनुभूति से ही तृप्त होती है, जिस के लिए उपासना/साधना करनी पड़ती है।
भारत के अभ्युदय को अब कोई नहीं रोक सकता।
भारत की रक्षा दैवीय शक्तियाँ करेंगी।
राष्ट्र पर एक बड़ा भयंकर खतरा है। भारत की लगभग चार लाख महिलाओं ने पाकिस्तानियों से निकाह कर रखा है, और पाकिस्तान न जाकर, भारत में ही रहते हुए लाखों पाकिस्तानी संतान उत्पन्न कर रही हैं। किसी के भी छह से कम संतान नहीं है। उन महिलाओं ने भारतीय पासपोर्ट ले रखा है, और अन्य सारे आवश्यक भारतीय दस्तावेज भी उनके पास हैं। उनके पति भारत में सिर्फ संतान पैदा करने के लिए ही आते हैं। वे महिलाएं भारत सरकार से सारी निःशुल्क सेवाएं भी ले रही हैं।
भारत में कम से कम यदि दस व्यक्ति भी ऐसे हैं जिन्हें परमात्मा से परमप्रेम और समर्पण है -- तब तक यह राष्ट्र भारत व उसकी अस्मिता जीवित और अमर है। .
भारत में कम से कम यदि दस व्यक्ति भी ऐसे हैं जिन्हें परमात्मा से परमप्रेम और समर्पण है -- तब तक यह राष्ट्र भारत व उसकी अस्मिता जीवित और अमर है।
द्वन्द्वमोह से निर्मुक्त और दृढ़व्रती व्यक्ति ही परमात्मा को उपलब्ध हो सकता है ---
द्वन्द्वमोह से निर्मुक्त और दृढ़व्रती व्यक्ति ही परमात्मा को उपलब्ध हो सकता है
रूस एक कष्ट-भूमि है जहाँ मनुष्य कष्ट पाने के लिए ही जन्म लेता है ---
विश्व की सबसे बड़ी सैनिक परेड और सबसे बड़ा सैनिक प्रदर्शन प्रति वर्ष 9 मई को मॉस्को (रूस) में होता है। 1945 में इस दिन रूस ने जर्मनी को पराजित कर द्वितीय विश्व युद्ध का अंत कर दिया था। उस दिन जर्मनी में 8 मई थी, लेकिन मॉस्को में 9 मई थी अतः 9 मई को ही पूर्व सोवियत संघ के सभी देशों में यह पर्व मनाया जाता है।
प्रत्येक दिन शुभ है, जिसका आरंभ परमात्मा के ध्यान से करें ---
मेरे मित्र-समूह में अनेक निष्ठावान स्त्री और पुरुष भक्त हैं जिन पर किसी को भी अभिमान हो सकता है। धन्य है उनकी निष्ठा और उनकी भक्ति। कुछ लोग ऐसे ही चिपके हुये भी हैं, लेकिन वे कम हैं। सभी का कल्याण हो। सभी का जीवन कृतार्थ हो और सभी कृतकृत्य हों।
मेरे में इतना सामर्थ्य नहीं है कि अंत समय में आपका स्मरण कर सकूँ। आप ही मुझे याद कर लेना।
मेरे में इतना सामर्थ्य नहीं है कि अंत समय में आपका स्मरण कर सकूँ। आप ही मुझे याद कर लेना।
कोई माने या न माने पर जीवन के अंतिम काल में सभी को यह मानना ही पड़ता है
१२ मई २०२५
जीवन में मेरा एक ही स्वप्न अधूरा है
जीवन में मेरा एक ही स्वप्न अधूरा है, वह है सत्य-सनातन-धर्म की सर्वत्र पुनः प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो। भारत की प्राचीन शिक्षा-व्यवस्था और कृषि-व्यवस्था पुनः स्थापित हो। परमात्मा से और कुछ भी नहीं चाहिये, वे हमारा पूर्ण समर्पण स्वीकार करें, और स्वयं को सर्वत्र सदा व्यक्त करें।
हम आध्यात्मिक प्रगति कर रहे हैं या नहीं? इसका क्या मापदंड है?
हम आध्यात्मिक प्रगति कर रहे हैं या नहीं? इसका क्या मापदंड है?
वर्तमान तुर्की -- कमाल अतातुर्क उर्फ मुस्तफ़ा कमाल पाशा (१८८१-१९३८) की नीतियों से दूर जा रहा है।
वर्तमान तुर्की -- कमाल अतातुर्क उर्फ मुस्तफ़ा कमाल पाशा (१८८१-१९३८) की नीतियों से दूर जा रहा है।
विश्व राजनीति क्या है? / अमेरिका धन के लिए कितना भी नीचे गिर सकता है ---
विश्व राजनीति क्या है? ---
ब्रह्मतत्व यानि परमात्मा को जानने का अधिकार सभी को है ---
ब्रह्मतत्व यानि परमात्मा को जानने का अधिकार सभी को है, केवल विरक्त व्यक्ति को ही नहीं। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान अनेक बार यह बात कहते हैं। लेकिन इसके लिए परमप्रेम, अभीप्सा, शरणागति, समर्पण, स्वाध्याय, साधना व अध्यवसाय द्वारा पात्रता तो स्वयं को ही अर्जित करनी पड़ती है।
"पुष्पिता वाणी" (दिखावटी शोभायुक्त वाणी) से बचो, और "व्यवसायात्मिका बुद्धि" (निश्चयात्मिका बुद्धि) पर दृढ़ रहो ---
गीता के सांख्य-योग (अध्याय २) में भगवान हमें गीता के सांख्य-योग (अध्याय २) में भगवान हमें "पुष्पिता वाणी" (दिखावटी शोभायुक्त वाणी) से बचने, और "व्यवसायात्मिका बुद्धि" (निश्चयात्मिका बुद्धि) पर दृढ़ रहने को कहते हैं ---
बड़े भाग्यशाली पुण्यवान लोगों के घर पर ही शहनाई बजती है ---
बड़े भाग्यशाली पुण्यवान लोगों के घर पर ही शहनाई बजती है
आज का दिन दुबारा बापस लौट कर नहीं आयेगा ---
Celebrate each day as if it were once in a lifetime.