बड़े भाग्यशाली पुण्यवान लोगों के घर पर ही शहनाई बजती है
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शहनाई की ध्वनि अति मंगलकारी और शुभ होती है। विवाह आदि शुभ अवसरों पर पाँच या सात दिन पहिले से ही नित्य सायंकाल घर के दरवाजे पर शहनाई व नौबत बजवानी चाहिये। इससे सात्विक मंगलकारी शुभ शक्तियाँ आकर्षित होती हैं। प्रत्येक शुभ अवसर पर हमें घर पर कलाकारों को बुलाकर उनसे शहनाई और नौबत बजवानी चाहिये। यदि किसी के घर के दरवाजे पर शहनाई बज रही है तो समझ लीजिये कि इस व्यक्ति ने बहुत पुण्य किये हैं और भाग्यशाली है।
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डीजे की ध्वनि सूक्ष्म जगत की नकारात्मक आसुरी शक्तियों को आमंत्रित करती है।
विवाह स्थल पर जहाँ पाणिग्रहण संस्कार होता है -- उस स्थान को देशी नस्ल की गाय के गोबर और शुद्ध मिट्टी से लेपन कर के कुछ गंगाजल छिड़क देना चाहिये। इस से वह स्थान पवित्र हो जाता है।
जहाँ दुल्हे/दुल्हन ने, उनके माता-पिता ने, या विवाह करवाने वाले पंडित जी ने किसी भी तरह का मदिरापान कर रखा है -- वहाँ देवताओं का आगमन नहीं हो सकता, चाहे कितने भी मंत्रपाठ करवा लो। ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
१६ मई २०२५
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पुनश्च: --- "नौबत" शब्द फारसी भाषा का है। इसे संस्कृत में 'दुन्दुभि' भी कहते थे। इसे बोलचाल की भाषा में "नक्कारा" कहते हैं, जिससे "नगाड़ा" शब्द की उत्पत्ति हुई है। यह एक छोटे व एक बड़े दो ड्रमों का जोड़ा होता है जिनका पीछे का भाग गोलाकार होता है। इसे बैठ कर दो डंडियों की सहायता से बजाया जाता है। हिन्दुओं के विभिन्न संस्कारों में एवं देवालयों पर इन्हें बजाया जाता है। एक मुहाबरा भी इससे बना है -- "नक्कारखाने में तूती की आवाज"।
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