"श्री" एक वेदिक शब्द है। इस शब्द का मुख्य अर्थ क्या होता है?
'श' का अर्थ श्वास-प्रश्वास भी हो सकता है। 'र' अग्निबीज है। 'ई' शक्तिबीज है। मुख्यतः इसका प्रयोग भगवती लक्ष्मी के लिए होता है। भगवान के अवतारों के साथ भी इस शब्द का प्रयोग करते हैं।
पुनश्च: -- रामचरितमानस में सीताजी की वंदना में -- "सर्वश्रेयस्करीं" शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका तात्पर्य है कि वे 'श्री' और यश को प्रदान करने वाली हैं। एक 'श्री संप्रदाय' भी है। वृंदावन के भक्त, भगवती श्रीराधाजी को ही 'श्री' मानते हैं। तंत्र में दस महाविद्याओं के साधक भगवती श्रीललितामहात्रिपुरसुंदरी को 'श्री' कहते हैं। ऋग्वेद में १५ मंत्रों का श्रीसूक्त है जो लक्ष्मी जी की आराधना हेतु है। गुरु शब्द के साथ भी श्री (श्रीगुरु) शब्द का प्रयोग होता है। विष्णु के सभी अवतारों के साथ श्री शब्द का प्रयोग होता है, जैसे श्रीराम, श्रीकृष्ण आदि। हनुमान जी के साथ भी श्री शब्द का प्रयोग होता है, जैसे श्रीहनुमान। सभी देवियों के नामों के साथ भी श्री शब्द का प्रयोग होता है।
भारत में सभी पुरुषों के नामों के साथ 'श्री' शब्द का प्रयोग होता है। मेरा प्रश्न यह है कि 'श्री' शब्द का सर्वमान्य अर्थ क्या हो सकता है?
२० अप्रैल २०२५
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