मेरे में इतना सामर्थ्य नहीं है कि अंत समय में आपका स्मरण कर सकूँ। आप ही मुझे याद कर लेना।
"अथ वायुः अमृतम् अनिलम् | इदम् शरीरं भस्मान्तं भूयात् |
ॐ कृतो स्मर, कृतं स्मर, कृतो स्मर, कृतं स्मर ||" ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ||
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हे प्रभु, मेरे में इतना सामर्थ्य नहीं है कि अंत समय में आपका स्मरण कर सकूँ। आप से आजकल प्रेम कुछ अधिक ही हो रहा है। अन्य कुछ चाहिये भी नहीं, क्योंकि मैं असहाय, अकिंचन और निरीह हूँ। आप ही मुझे याद कर लेना। आपसे प्रेम ही मेरा अस्तित्व है, अन्य कुछ मेरे पास है भी नहीं।
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"वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।
नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते॥
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व।
अनन्तवीर्यामितविक्रमस्त्वं सर्वं समाप्नोषि ततोऽसि सर्वः॥"
ॐ तत्सत् ॥ ॐ ॐ ॐ॥
कृपा शंकर
१२ मई २०२५
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