विश्व की सबसे बड़ी सैनिक परेड और सबसे बड़ा सैनिक प्रदर्शन प्रति वर्ष 9 मई को मॉस्को (रूस) में होता है। 1945 में इस दिन रूस ने जर्मनी को पराजित कर द्वितीय विश्व युद्ध का अंत कर दिया था। उस दिन जर्मनी में 8 मई थी, लेकिन मॉस्को में 9 मई थी अतः 9 मई को ही पूर्व सोवियत संघ के सभी देशों में यह पर्व मनाया जाता है।
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19वीं शताब्दी में लिखे गये रूसी साहित्य और रूस के पिछली दो शताब्दियों के इतिहास में मेरी कुछ-कुछ रुचि रही है। मेरे दृष्टिकोण से रूस एक कष्ट-भूमि है जहाँ मनुष्य कष्ट पाने के लिए ही जन्म लेता है, लेकिन वहाँ के लोगों ने अत्यधिक कष्टों के बाद भी मनुष्य जीवन की जिजीविषा (जीने की चाह), और कष्टों से ऊपर उठने के मानसिक संघर्ष का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है।
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आध्यात्म का अभाव वहाँ है। आध्यात्म में रुचि धीरे धीरे बढ़ रही है, जिसकी यही गति रही तो भविष्य में रूस एक सनातन धर्मावलम्बी देश होगा। अभी तो वहाँ रूसी ओर्थोडोक्स चर्च का पूरा प्रभाव है। मार्क्सवाद का त्याग तो वहाँ आधिकारिक रूप से कर दिया गया है, लेकिन मार्क्सवाद का भूत वहाँ के जीवन से अभी तक गया नहीं है।
९ मई २०२५
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