Sunday, 18 May 2025

हम आध्यात्मिक प्रगति कर रहे हैं या नहीं? इसका क्या मापदंड है?

 हम आध्यात्मिक प्रगति कर रहे हैं या नहीं? इसका क्या मापदंड है?

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सत्य के प्रति पूर्ण निष्ठा, सत्य का आचरण, और सत्य के प्रति निरंतर आकर्षण -- ही मेरी दृष्टि में आध्यात्मिक प्रगति का एकमात्र मापदंड है। परमात्मा -- परम सत्य हैं, वे सत्यनारायण हैं। उनके प्रति हमारे प्रेम और समर्पण में यदि निरंतर वृद्धि हो रही है, तो हम आध्यात्मिक प्रगति कर रहे हैं, अन्यथा नहीं। हम निरंतर सचेत रहें कि कहीं हम असत्य का आचरण तो नहीं कर रहे हैं। सत्य क्या है? बिना किसी पूर्वाग्रह के निरंतर इसका अनुसंधान करते रहें। यही मनुष्य की शाश्वत जिज्ञासा, और परमधर्म है। यही हमारा स्वधर्म भी है। सत्य ही परमात्मा है, जितना हम सत्य से दूर हैं, उतने ही हम परमात्मा से दूर हैं। ॥ ॐ तत्सत्॥ ॐ ॐ ॐ !!
कृपा शंकर
१४ मई २०२५ . पुनश्च: --- कुछ भी नयी या पुरानी चीज सीखने की अब इच्छा नहीं रही है। किसका क्या मत है, कौन क्या सोचता है, और कौन क्या कर रहा है, इसका भी अब कोई महत्व नहीं रहा है। परम सत्य की ओर आकर्षण निरंतर बढ़ रहा है, यही एकमात्र अनुसंधान का ज्वलंत विषय रह गया है। क्या ईश्वर में और हमारे में कोई भेद है? यदि है तो वह कैसे दूर हो? ॐ तत्सत्॥ ॐ ॐ ॐ ॥
कृपा शंकर
१४ मई २०२५

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