(श्री Aditya Narayan Jha Anal की वाल से साभार लिया हुआ)
Saturday, 24 May 2025
आज मीरपुर डे है, परन्तु न तो मेन स्ट्रीम मीडिया और न ही कोई पत्रकार व लेखक इसका उल्लेख करना चाहता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ती का एकमात्र सम्मानपूर्ण उपाय ---
रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ती का एकमात्र सम्मानपूर्ण उपाय ---
आत्म-रक्षा हेतु हमें स्वयं में भी क्षत्रियत्व विकसित करना होगा ---
जो क्षति से त्राण करता है, वह क्षत्रिय है। राष्ट्र की रक्षा क्षत्रिय-धर्म ही करेगा। भारत में सभी क्षत्रियों को अपने साथ अपने अस्त्र-शस्त्र रखने की अनुमति हो, वैसे ही जैसे सिखों को कृपाण रखने की अनुमति है। क्षत्रियों ने ही राष्ट्र की रक्षा सदा ही की है। यह उनका धर्म है। क्षत्रियों को चाहिये कि वे धर्मरक्षार्थ अपने अस्त्र-शस्त्र सदा अपने साथ रखने का प्रावधान प्राप्त करें।
२५ मई २०२२
हमें (मुझे या किसी को भी) परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती, इसका एकमात्र कारण परमप्रेम (भक्ति), और सत्यनिष्ठा (sincerity & integrity) का अभाव है
हमें (मुझे या किसी को भी) परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती, इसका एकमात्र कारण परमप्रेम (भक्ति), और सत्यनिष्ठा (sincerity & integrity) का अभाव है। अन्य कोई कारण नहीं है।
हिन्द महासागर में चागोस द्वीपसमूह व डिएगो गार्सिया द्वीप :--- .
हिन्द महासागर में चागोस द्वीपसमूह व डिएगो गार्सिया द्वीप :---
भक्त साधक को कभी भी मार्गदर्शन का अभाव नहीं रहता| परमात्मा सदा उसका मार्गदर्शन और रक्षा करते हैं|
मनुष्य मौज-मस्ती करता है सुख की खोज में| यह सुख की खोज, अचेतन मन में छिपी आनंद की ही चाह है| सांसारिक सुख की खोज कभी संतुष्टि नहीं देती, अपने पीछे एक पीड़ा की लकीर छोड़ जाती है| आनंद की अनुभूतियाँ होती हैं सिर्फ ..... भगवान के ध्यान में| भगवान ही आनंद हैं, परम प्रेम जिनका द्वार है| सभी जीवों पर उनकी अपार परम कृपा हो| उनकी परम कृपा हम सब पर है इसी लिए हम जीवित हैं|
सत्संग क्या है? सत्संग का मापदंड क्या है?
सत्संग की महिमा तो बहुत सुनी है, पर सत्संग क्या है? सत्संग का मापदंड क्या है कि हम सत्संग कर रहे हैं या समय ही नष्ट कर रहे हैं? सत्संग का अर्थ है सत्य का संग| एकमात्र सत्य .... "परमात्मा" है| जहाँ पर, जिस की उपस्थिती में, परमात्मा का आभास परमप्रेम (भक्ति) और परमात्मा के आनंद के रूप में स्पष्टतः होता है, वही सत्संग है, अन्यथा समय की बर्बादी है|
नित्य सन्यासी कौन है?
भगवान् द्वारा यहां दी हुई संन्यास की परिभाषा प्रचलित निरर्थक धारणाओं को दूर कर देती है। वेषभूषा के बाह्य आडंबर की अपेक्षा आन्तरिक गुणों का अधिक महत्व है। श्रीकृष्ण के विचारानुसार राग और द्वेष से रहित पुरुष ही संन्यासी कहलाने योग्य है। यह एक बहुत गहरा विषय है जिस पर शांति से मनन करना चाहिये।
ॐ तत्सत् !! ॐ ॐ ॐ !!
२४ मई २०२०
जैसे जैसे हमारी आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है, वैसे वैसे असत्य का अंधकार भी हमारी चेतना से दूर होता जाता है।
जैसे जैसे हमारी आध्यात्मिक चेतना का विकास होता है, वैसे वैसे असत्य का अंधकार भी हमारी चेतना से दूर होता जाता है। हमारे पतन का कारण -- हमारे जीवन में तमोगुण का होना है। चेतना के उत्थान का एकमात्र मार्ग -- अनंत ज्योतिर्मय परमात्मा (ब्रह्म) का ध्यान है। श्रीमद्भगवद्गीता का स्वाध्याय, और सच्चिदानंद परमात्मा का ध्यान करें, यही कल्याण का मार्ग है।
एक नये युग का आरंभ हो चुका है ---
एक नये युग का आरंभ हो चुका है ---
आप सब से मिले प्रेम और आशीर्वाद के लिये आभारी हूँ। साधुवाद।
आप सब से मिले प्रेम और आशीर्वाद के लिये आभारी हूँ। साधुवाद।
इस जीवन का जो भी समय बचा है, वह धर्म, राष्ट्र व परमात्मा को समर्पित है।
इस जीवन का जो भी समय बचा है, वह धर्म, राष्ट्र व परमात्मा को समर्पित है। हम शाश्वत आत्मा हैं जिसका धर्म -- परमात्मा को पूर्ण समर्पण है। यही राष्ट्र व समष्टि की सर्वोच्च सेवा है। हमें आवश्यकता व्यवहारिक उपासना की है, बौद्धिक चर्चा की नहीं। आध्यात्म की गूढ़ बातें बुद्धि द्वारा नहीं, प्रत्यक्ष गहन अनुभूतियों द्वारा ही समझ में आती हैं। जैसे शिक्षा में क्रम होते हैं -- एक बालक चौथी में पढ़ता है, एक बालक बारहवीं में, एक बालक कॉलेज में; वैसे ही साधना के भी क्रम होते हैं। प्रवचनों को सुनने, या उपदेशों को पढ़ने मात्र से हम परमात्मा को उपलब्ध नहीं हो सकते। हम जितने समय तक स्वाध्याय करते हैं, उससे कई गुणा अधिक समय तक परमात्मा की उपासना करनी पड़ती है।
सम्पूर्ण भारत -- परमात्मा की दिव्य ज्योति से आलोकित हो ------
सम्पूर्ण भारत -- परमात्मा की दिव्य ज्योति से आलोकित हो; असत्य का अंधकार सदा के लिए दूर हो। मैं वर्णाश्रम-धर्म और भारत की पुरातन-शिक्षा व कृषि-व्यवस्था का पूर्ण समर्थन करता हूँ। अपने द्विगुणित परम वैभव और सत्य-निष्ठा के साथ भारत अखंडता के सिंहासन पर बिराजमान हो।
लू प्राणघातक है, लेकिन साथ साथ जीवन दायक भी है। इससे अनेक लाभ भी होते हैं -----
लू प्राणघातक है, लेकिन साथ साथ जीवन दायक भी है। इससे अनेक लाभ भी होते हैं