Saturday, 24 May 2025

आप सब से मिले प्रेम और आशीर्वाद के लिये आभारी हूँ। साधुवाद।

 आप सब से मिले प्रेम और आशीर्वाद के लिये आभारी हूँ। साधुवाद।

ज्ञान का एकमात्र स्त्रोत परमात्मा है। पुस्तकें केवल सूचनाओं एवं पूर्व अनुभूतियों का संग्रहण मात्र है, जिनसे प्रेरणा मिल सकती है, अन्य कुछ भी नहीं। अभी कुछ भी लिखने योग्य नहीं है। कोई महत्वपूर्ण बात होगी तो अवश्य लिखूंगा।
सारा मार्गदर्शन -- उपनिषदों और श्रीमद्भगवद्गीता में है। सच्चिदानंदघन परमात्मा को अपने हृदय का सर्वश्रेष्ठ पूर्ण प्रेम दें। आप सब के लिए मैं सदा उपलब्ध हूँ।
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"असितगिरिसमं स्यात् कज्जलं सिन्धुपात्रे।
सुरतरुवरशाखा लेखनी पत्रमुर्वी॥
लिखति यदि गृहीत्वा शारदा सर्वकालं।
तदपि तव गुणानामीश पारं न याति॥"
(गंधर्वराज पुष्पदन्त द्वारा रचित शिवमहिम्न स्तोत्र से संकलित)
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कृपा शंकर
२३ मई २०२५

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