जो क्षति से त्राण करता है, वह क्षत्रिय है। राष्ट्र की रक्षा क्षत्रिय-धर्म ही करेगा। भारत में सभी क्षत्रियों को अपने साथ अपने अस्त्र-शस्त्र रखने की अनुमति हो, वैसे ही जैसे सिखों को कृपाण रखने की अनुमति है। क्षत्रियों ने ही राष्ट्र की रक्षा सदा ही की है। यह उनका धर्म है। क्षत्रियों को चाहिये कि वे धर्मरक्षार्थ अपने अस्त्र-शस्त्र सदा अपने साथ रखने का प्रावधान प्राप्त करें।
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हमारी (सारे हिंदु समाज की) दुर्दशा का मुख्य कारण हमारी कायरता है। इस कायरता को दूर करने का एकमात्र उपाय है -- भगवान श्रीराम का ध्यान। चिंतन, मनन, निदिध्यासन, ध्यान/उपासना द्वारा उन्हें निज जीवन में अवतरित करना होगा। हर क्षेत्र में हमें स्वयं राम बनना होगा। हमारा जीवन राममय हो। अन्य कोई उपाय नहीं है। भगवान को छल-कपट पसंद नहीं है। जो दूसरों के साथ छल करते हैं, उनका कोई पुण्य उनके काम नहीं आयेगा। उनका अपने परिवार सहित नर्कगामी होना सुनिश्चित है।
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सत्य-सनातन-धर्म और भारत की रक्षा करो, हे भगवन् !!
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
२५ मई २०२२
२५ मई २०२२
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