भगवान से बड़ा छलिया और कोई नहीं है .....
हमने भगवान के साथ बहुत अधिक छल किया होगा तभी तो वे भी हमारे साथ छल ही कर रहे हैं| उनसे बड़ा छलिया और कोई नहीं है| सर्वत्र होकर भी वे समक्ष नहीं हैं, इस से बड़ा छल और क्या हो सकता है?
चलो, तुम्हारी मर्जी ! तुम चाहे जैसा करो, पर तुम्हारे बिना हम अब और नहीं रह सकते| इसी क्षण तुम्हें व्यक्त होना ही होगा| कोई अनुनय-विनय हम नहीं करेंगे क्योंकि तुम्हारे साथ एकरूपता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है| तुम्हारे बिना बड़ी भयंकर पीड़ा हो रही है, यह बहुत बड़ी विपत्ती है| अब तो रक्षा करो| इतनी निष्ठुरता से स्वयं से विमुख क्यों कर रहे हो? तुम्हारे से विमुखता ही हमारे सब दुखों कष्टों का कारण है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ गुरु ! ॐ ॐ ॐ !!
२३ नवम्बर २०१९