Saturday, 22 November 2025

भगवान से बड़ा छलिया और कोई नहीं है .....

 भगवान से बड़ा छलिया और कोई नहीं है .....

हमने भगवान के साथ बहुत अधिक छल किया होगा तभी तो वे भी हमारे साथ छल ही कर रहे हैं| उनसे बड़ा छलिया और कोई नहीं है| सर्वत्र होकर भी वे समक्ष नहीं हैं, इस से बड़ा छल और क्या हो सकता है?
चलो, तुम्हारी मर्जी ! तुम चाहे जैसा करो, पर तुम्हारे बिना हम अब और नहीं रह सकते| इसी क्षण तुम्हें व्यक्त होना ही होगा| कोई अनुनय-विनय हम नहीं करेंगे क्योंकि तुम्हारे साथ एकरूपता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है| तुम्हारे बिना बड़ी भयंकर पीड़ा हो रही है, यह बहुत बड़ी विपत्ती है| अब तो रक्षा करो| इतनी निष्ठुरता से स्वयं से विमुख क्यों कर रहे हो? तुम्हारे से विमुखता ही हमारे सब दुखों कष्टों का कारण है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ गुरु ! ॐ ॐ ॐ !!
२३ नवम्बर २०१९

'अहिंसा परमो धर्म' ....

 'अहिंसा परमो धर्म' ..... यह महाभारत का वाक्य है जिसे समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि हिंसा क्या है| एक वीतराग व्यक्ति ही अहिंसक हो सकता है, सामान्य सांसारिक व्यक्ति तो कभी भी नहीं| मनुष्य का राग-द्वेष, अहंकार और लोभ ही हिंसा है|

जिन्होनें काम, क्रोध, लोभ, राग-द्वेष और अहंकार रूपी सारे अरियों (शत्रुओं) का समूल नाश किया है, उन सभी अरिहंतों को मैं प्रणाम करता हूँ चाहे वे किसी भी मत-मतांतर के हों, और इस ब्रह्मांड में कहीं भी रहते हों| उन्हें बारंबार प्रणाम है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ गुरु ! ॐ ॐ ॐ !!
२३ नवम्बर २०१९