मान-सम्मान और यश-कीर्ति की न्यूनतम कामना भी माया का एक अस्त्र है जो निश्चित रूप से हमें भटकाता है ---
Saturday, 31 May 2025
मान-सम्मान और यश-कीर्ति की न्यूनतम कामना भी माया का एक अस्त्र है जो निश्चित रूप से हमें भटकाता है ---
योग साधना की एक सर्वश्रेष्ठ विधि ---
योग साधना की एक सर्वश्रेष्ठ विधि ---
एक सुझाव लव-जिहाद रोकने का --- .
लव-जिहाद रोकने के लिए हिन्दू समाज में विवाह भी शीघ्र हों। २४-२५ वर्ष तक की आयु के युवक का और १८-२२ वर्ष तक की आयु की युवती का विवाह हो जाना चाहिए। Career व settle और पढ़ाई-लिखाई -- विवाह के बाद भी हो सकती है। यह एक ऐसी आयु है जिसमें विपरीत लिंग यानि opposite sex के प्रति आकर्षण सबसे अधिक होता है। इस आयु में विवाह हो जाना चाहिए।
गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताई हुई "योग साधना" की एक परम श्रेष्ठ विधि --
गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताई हुई "योग साधना" की एक परम श्रेष्ठ विधि --
आचार्य/सद्गुरु की आवश्यकता क्यों है? गुरु कौन हो सकता है? ---
आचार्य/सद्गुरु की आवश्यकता क्यों है? गुरु कौन हो सकता है? ---
हम जप करें तो किसका जप करें? ---
हम जप करें तो किसका जप करें? ---
अन्तर्रात्मा में बड़ी तड़फ है परमात्मा को प्राप्त होने की, लेकिन अन्तःकरण बहुत दुर्बल है ---
अन्तर्रात्मा में बड़ी तड़फ है परमात्मा को प्राप्त होने की, लेकिन अन्तःकरण बहुत दुर्बल है ---
जीवन में कुछ गोपनीय भी होना चाहिये ---
भगवान ने मुझे जितनी समझने और व्यक्त करने की क्षमता दी है, उसके अनुसार अपनी अत्यल्प और अति-सीमित बुद्धि से उतना ही अधिक व्यक्त करने का प्रयास मैंने सदा किया है। इससे अधिक अब संभव नहीं है, क्योंकि परिप्रेक्ष्य बदल गया है, जिसे मैं गोपनीय रखना चाहता हूँ। निष्ठावान सत्संगी मित्रों को ही मैं उपलब्ध हूँ।
मेरे जीवन में चाहे लाखों कमियाँ हों, कितने भी अभाव हों, अब उनका कोई महत्व नहीं रहा है ---
मेरे जीवन में चाहे लाखों कमियाँ हों, कितने भी अभाव हों, अब उनका कोई महत्व नहीं रहा है। यह भौतिक शरीर रहे या न रहे, इससे भी अब कोई प्रयोजन नहीं है। जब भगवान से कुछ चाहिए ही नहीं, तब सारी औपचारिक साधनाएं भी महत्वहीन हो गयी हैं, जिनमें भोग और योग का चाहे थोड़ा सा भी प्रलोभन हो।
आज ३१ मई २०२५ को महारानी अहिल्याबाई होळकर की तीनसौवीं जयंती है ---
आज ३१ मई २०२५ को अङ्ग्रेज़ी तिथि के अनुसार सत्य-सनातन हिन्दू-धर्म की महान उद्धारकर्ता, भगवान शिव की मानस-पुत्री, पुण्यश्लोका महारानी अहिल्याबाई होळकर की तीनसौवीं जयंती है (जन्म : ३१ मई १७२५. मृत्यु १३ अगस्त १७९५) (राज्यकालावधी १७६७ - १७९५ई.) उस कालखंड में वे सत्य-सनातन हिन्दू-धर्म की महान उद्धारकर्ता थीं। उन्होने इंदौर नगर की स्थापना की व वहीं से मालवा पर शासन किया।
गर्मी का आनंद लेते हुए स्वयं को सारे संचित व प्रारब्ध कर्मों से मुक्त करें ---
गर्मी का आनंद लेते हुए स्वयं को सारे संचित व प्रारब्ध कर्मों से मुक्त करें
गर्मी के मौसम की सकारात्मकता ---
गर्मी के मौसम की सकारात्मकता ---
महारानी अहिल्याबाई की २९४ वीं जयंती ---
भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बैठे, व सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो|
भारत माँ अपने द्वीगुणित परम वैभव के साथ अखंडता के सिंहासन पर बैठे, व सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो| हमें न तोअपने अहंकार को तृप्त करने के लिए कोई आधिभौतिक उपलब्धि चाहिए, न ही हमें किसी व्यक्ति को प्रभावित कर उस से वाहवाही लूटनी है चाहे वह संसार की दृष्टि में कितना भी बड़ा व्यक्ति हो|
महारानी अहिल्याबाई होल्कर की २९५ वीं जयंती ---
भारत की एक महान मातृशक्ति और भगवान शिव की मानस पुत्री प्रातःस्मरणीया परम-शिवभक्त महारानी अहिल्याबाई होलकर (३१ मई १७२५ - १३ अगस्त १७९५) को नमन जिन का आज ३१ मई को जन्म हुआ था| हमारा दुर्भाग्य है कि धर्मनिरपेक्षता और हिन्दुद्रोह के कारण इनका इतिहास नहीं पढ़ाया जाता| इनके गौरव और महानता के बारे में जितना लिखा जाए उतना ही कम है|
हिंदुओं में होने वाले विवाह समारोहों के बारे में मेरे कुछ विचार हैं जिन्हें सराहते तो सब हैं पर पालन कोई नहीं करता :---
(१) दिवा लग्न हों यानि सूरज की रोशनी में विवाह हों ताकि जेनेरेटर और बिजली का फालतू खर्चा बचे, और रात्रि को लोग चैन से सो सकें| बैंड बाजा और नाच-कूद लड़के वाले अपने घर पर करें, कन्या पक्ष के यहाँ नहीं| .
सारा जगत ब्रह्ममय यानि प्राण और ऊर्जा का स्पंदन है, जिसका निरंतर विस्तार हो रहा है।
सारा जगत ब्रह्ममय यानि प्राण और ऊर्जा का स्पंदन है, जिसका निरंतर विस्तार हो रहा है। सारी सृष्टि ही परमशिव है। भगवान विष्णु स्वयं ही यह विश्व बन गए हैं। सारी सृष्टि विभिन्न आवृतियों पर ऊर्जा का स्पंदन है, जो प्राण से चैतन्य है। वह अनंत विस्तार और उससे भी परे ज्योतिर्मय ब्रह्म के रूप में परमशिव हैं, वे ही मेरे उपास्य हैं। "सियाराम मय सब जग जानी करहुं प्रणाम जोरि जुग पानी॥" "ॐ विश्वं विष्णु:-वषट्कारो भूत-भव्य-भवत- प्रभुः।"
अहिल्याबाई होल्कर की २९७वीं जयंती
आज पुण्यश्लोका, प्रातःस्मरणीया, एक महानतम भारतीय नारी योद्धा व शासिका, भगवान शिव की मानसपुत्री, इंदौर नगर जी स्थापिका, मालवा की महारानी, अहिल्याबाई होल्कर की २९७वीं जयंती है। इनका जन्म ३१ मई १७२५ को महाराष्ट्र के चांडी (वर्तमान अहमदनगर) गांव में हुआ था। इन्होने विपरीततम परिस्थितियों में महानतम कार्य किए। इनका यश और कीर्ति सदा अमर रहेंगे।
एक दुर्धर्ष आध्यात्मिक शक्ति -- भारत के उत्थान में कार्यरत हो चुकी है, जिसे रोकने का सामर्थ्य किसी में भी नहीं है।
संयमित मन मनुष्य का मित्र है, और स्वेच्छाचारी मन उसका शत्रु। स्वयं के सबसे अच्छे मित्र बनें, और स्वयं पर सबसे अधिक विश्वास करें।
संयमित मन मनुष्य का मित्र है, और स्वेच्छाचारी मन उसका शत्रु। स्वयं के सबसे अच्छे मित्र बनें, और स्वयं पर सबसे अधिक विश्वास करें। मन को निरंतर परमात्मा में स्थिर कर के रखें।