हम लोग भजन गायकों और कथावाचकों को पूज्य/पूज्या संत मान लेते हैं, यह हमारी बहुत बड़ी भूल है| भजन गायकी और कथावाचन एक व्यवसाय/व्यापार है जिसका लक्ष्य सिर्फ पैसा कमाना है| कई पुरुष और लड़कियाँ कथावाचक बन जाती हैं और उन के परिवार के लोग करोड़ों में खेलने लगते हैं|
Friday, 6 June 2025
भजन गायकी और कथावाचन एक व्यवसाय/व्यापार है जिसका लक्ष्य सिर्फ पैसा कमाना है ---
अगर कोई बात समझ में नहीं आए, या जिसे समझना हमारी बौद्धिक क्षमता से परे हो तो उसको वहीं छोड़ देना चाहिये ---
अगर कोई बात समझ में नहीं आए, या जिसे समझना हमारी बौद्धिक क्षमता से परे हो तो उसको वहीं छोड़ देना चाहिये। जितना और जो भी समझ में आ सके, वही ठीक है| अपनी विद्वता के अहंकार प्रदर्शन के लिए ऊंची ऊंची बातें करना भी गलत है| वही बोलना चाहिए जो सामने वाले के समझ में आ सके| . देहरादून में कोलागढ़ रोड़ पर एक बहुत बड़े संत-महात्मा रहते थे जिनका नाम स्वामी ज्ञानानन्द गिरि था| वे वास्तव में परमात्मा का साक्षात्कार किए हुए एक बहुत ही महान संत थे| उनसे मुझे तीन बार सत्संग लाभ मिला| मैंने उनसे निवेदन किया कि मुझे बहुत सारी बातें समझ में नहीं आतीं क्योंकि इतनी बौद्धिक मुझमें क्षमता नहीं है| उन्होने उत्तर दिया कि "भगवान है" बस इतना ही समझ लेना पर्याप्त है| बाकी जो आवश्यक होगा वह भगवान स्वयं समझा देंगे| (वे स्वामी आत्मानन्द गिरि के शिष्य थे| स्वामी आत्मानन्द गिरि, स्वामी योगानन्द गिरि के शिष्य थे| स्वामी योगानन्द गिरि कालांतर में परमहंस योगानन्द के नाम से विश्व प्रसिद्ध हुए|)
मेरे पास कहीं भी जाने को अब कोई स्थान इस सृष्टि में नहीं बचा है ---
मेरे पास कहीं भी जाने को अब कोई स्थान इस सृष्टि में नहीं बचा है।
क्या "नमक का मूल्य" (नमकहलाली) "समाज और राष्ट्र के हित" से अधिक था?
ईरान की वर्तमान विचित्र स्थिति और विश्व युद्ध का खतरा --
ईरान की वर्तमान विचित्र स्थिति और विश्व युद्ध का खतरा -- (अति अति महत्वपूर्ण लेख, जिसका निश्चित प्रभाव भारत पर पड़ेगा)
हमारा निवास परमात्मा के सर्वव्यापी हृदय में है ---
हमारा निवास परमात्मा के सर्वव्यापी हृदय में है, हम स्वयं आनंद-सिंधु हैं जो कभी प्यासा और अतृप्त नहीं हो सकता ---
गंगा दशहरा पर सभी श्रद्धालुओं का अभिनंदन ---
माँ गंगा का अवतरण ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में हुआ था। भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पृथ्वी पर माता गंगा को लाना चाहते थे। उन्होंने माँ गंगा की कठोर तपस्या की। भागीरथ ने उनसे धरती पर आने की प्रार्थना की। माँ गंगा ने बताया कि उनकी तेज धारा का प्रचंड वेग केवल भगवान शिव ही सहन कर सकते हैं, अन्य कोई नहीं। मां गंगा के प्रचंड वेग को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में समा लिया और नियंत्रित वेग से गंगा को पृथ्वी पर प्रवाहित किया।
मेरा साथ देने के लिए आप सभी को साभार धन्यवाद !!
मेरा साथ देने के लिए आप सभी को साभार धन्यवाद !!