Wednesday, 2 April 2025

ब्रह्म एक है, तो अपने संकल्प से अनेक कैसे हुआ? जीवात्मा, परमात्मा से भिन्न कैसे किस विधि से हुआ?

 (प्रश्न) ब्रह्म एक है, तो अपने संकल्प से अनेक कैसे हुआ? जीवात्मा, परमात्मा से भिन्न कैसे किस विधि से हुआ?

.
(उत्तर) यह अगम्य विषय मेरी अत्यल्प व सीमित बुद्धि की समझ से परे का है, अतः कुछ भी नहीं कह सकता। लेकिन महात्माओं के मुख से सुना है कि कारण शरीर ही हमारे पुनर्जन्म, कर्मफलों की प्राप्ति, और सारे बंधनों का कारण है। इसीलिए उसे कारण शरीर कहते हैं। हमारा अंतःकरण (मन बुद्धि चित्त अहंकार), सूक्ष्म शरीर का भाग है। हमारी सोच विचार और भाव हमारे कर्म हैं जिनका सारा हिसाब कारण शरीर में रहता है। बहुत गहरे ध्यान यानि समाधि की अवस्था में हमारा संबंध कारण शरीर से टूटता रहता है, और कारण शरीर का पतन ही मोक्ष है, क्योंकि तब बंधन का कोई कारण नहीं रहता।
.
सत्य का ज्ञान तो हमें भगवान की परम कृपा से ही हो सकता है, तब तक यह अनुमान ही सत्य लगता है। इस भौतिक विश्व में हम इस भौतिक देह में व्यक्त है, और यह भौतिक देह ही हमारी यहाँ पहिचान है।
ॐ तत्सत् !!
कृपा शंकर
३ अप्रेल २०२३