अपनी मौत के कुछ दिनों बाद हर इंसान को वापस आ कर यह बताने का अवसर मिले कि मरने के बाद उसका कैसा अनुभव रहा?
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जीवन में मेरी अनेक पादरियों से बातचीत हुई है। लगभग सभी ने एक बात कही है कि यदि तुम जीसस क्राइस्ट पर विश्वास नहीं करोगे तो अनंत काल तक नर्क की अग्नि में जलाये जाओगे। ऐसे ही मुसलमान मित्रों ने फरमाया है कि जो हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान नहीं लायेंगे, वे सब दोज़ख की आग में तड़फाए जाएंगे।
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यदि ऊपर वाला सर्व शक्तिशाली है तो उसने जन्म से ही दिमाग में अपना संदेश डालकर क्यों नहीं भेजा? उसने काफिरों को जन्म ही क्यों दिया? जन्नत या दोज़ख किसने देखी है? आज तक कोई वहाँ से बापस नहीं आया है। पता नहीं वहाँ ७२ हूरें मिलेंगी या यमदूतों के डंडे।
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डरा-धमका कर या प्रलोभन देकर ही सारी बातें क्यों मनवाई जाती हैं? कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि अपनी मौत के कुछ दिनों बाद हर इंसान को वापस आ कर यह बताने का अवसर मिले कि मरने के बाद उसका कैसा अनुभव रहा?
१ अप्रेल २०२३