Saturday, 22 November 2025

'अहिंसा परमो धर्म' ....

 'अहिंसा परमो धर्म' ..... यह महाभारत का वाक्य है जिसे समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि हिंसा क्या है| एक वीतराग व्यक्ति ही अहिंसक हो सकता है, सामान्य सांसारिक व्यक्ति तो कभी भी नहीं| मनुष्य का राग-द्वेष, अहंकार और लोभ ही हिंसा है|

जिन्होनें काम, क्रोध, लोभ, राग-द्वेष और अहंकार रूपी सारे अरियों (शत्रुओं) का समूल नाश किया है, उन सभी अरिहंतों को मैं प्रणाम करता हूँ चाहे वे किसी भी मत-मतांतर के हों, और इस ब्रह्मांड में कहीं भी रहते हों| उन्हें बारंबार प्रणाम है|
ॐ तत्सत् ! ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ! ॐ गुरु ! ॐ ॐ ॐ !!
२३ नवम्बर २०१९

No comments:

Post a Comment