बड़ी कुटिलता से भारत में हिंदुओं को धर्म-निरपेक्षता के नाम पर द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाया गया है|
.
सारी समानता की बातें झूठी हैं| सत्य-सनातन-हिन्दू-धर्म ही भारत की अस्मिता है, जिसके बिना भारत, भारत नहीं है| हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए ही पाकिस्तान का निर्माण किया गया, और भारत को धर्म-निरपेक्ष (अधर्म-सापेक्ष) व समाजवादी घोषित कर तथाकथित अल्पसंख्यक तुष्टीकरण किया जा रहा है| भारत का संविधान हिंदुओं को अपने धर्म की शिक्षा का अधिकार अपने विद्यालयों में नहीं देता, हिंदुओं के सारे मंदिरों को सरकार ने अपने अधिकार में ले रखा है| मंदिरों के धन की सरकारी लूट हो रही है| यह धन हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए लगना चाहिए था| हिंदू धर्म को भी इस्लाम व ईसाईयत के बराबर संवैधानिक अधिकार मिलने चाहियें|
.
जो लोग स्वयं को राष्ट्रवादी कहते हैं, उन्हें अपनी संतानों के लिए अपनी धार्मिक शिक्षा की माँग करनी चाहिए| अल्पसंख्यकवाद और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ईसाईयत और इस्लाम को ही अनुचित संरक्षण दिया जा रहा है, और हिंदुओं को अनंत जातियों में बांटा जा रहा है| हिन्दू धर्म के अनुयायियों को भी अन्य मज़हबों व रिलीजनों के बराबर ही संवैधानिक अधिकार मिलने चाहियें|
.
सनातन-धर्म और भारत पर जितने आक्रमण और मर्मांतक प्रहार हुए हैं, उन का दस-लाख-वाँ प्रहार भी किसी अन्य संस्कृति पर होता तो वह तुरंत नष्ट हो जाती| भारत का धर्म, सृष्टि का धर्म और कालजयी है| अधोमुखी होकर मनुष्य की चेतना ही पतित हो गई थी| जब मनुष्य की चेतना का उत्थान होगा तभी उन्हें सनातन धर्म का ज्ञान होगा|
.
२२ नवंबर २०२०
No comments:
Post a Comment