अंडमान के संरक्षित नार्थ सेंटिनल द्वीप पर जाने की अनुमति एक विदेशी पादरी को किसने दी? किस के आदेश से वहाँ हेलिकोप्टर गया? यह एक आपराधिक कृत्य था जिसके लिए दोषी को सजा मिलनी चाहिए| यह द्वीप संरक्षित द्वीप है जिस के आसपास जाने की किसी को भी अनुमति नहीं है| भारत सरकार के एक वैज्ञानिक अनुसंधान जहाज द्वारा इस द्वीप के आसपास के भौगोलिक क्षेत्र में चालीस वर्ष पूर्व १९७८ में एक वैज्ञानिक भूगर्भीय सर्वे हुआ था| मैं भी उस जहाज पर था| वहां के निवासियों को दूरबीन से देखा था| वे नग्न रहते हैं, कोई कपड़ा नहीं पहिनते हैं| किसी भी बाहरी व्यक्ति को वहां नहीं आने देते, और स्वयं भी कहीं नहीं जाते| बाहर के विश्व से उनका कोई सम्बन्ध नहीं है| वे लोग अभी भी पाषाण युग में रहते हैं| कोई उनकी बोली भी नहीं समझता| भारत सरकार ने उसे संरक्षित क्षेत्र घोषित कर रखा है, किसी को भी वहां जाने की अनुमति नहीं है| अतः इस विदेशी पादरी की हिम्मत कैसे हुई अवैध रूप से वहाँ जाने की? किस ने उसको बचाने के लिए हेलिकोप्टर वहां भेजा? यह वहाँ चर्च के प्रभाव को दिखाता है|
Friday, 21 November 2025
अंडमान के संरक्षित नार्थ सेंटिनल द्वीप पर जाने की अनुमति एक विदेशी पादरी को किसने दी ?
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अंडमान की ज़रावा जनजाति भी ऐसे ही रहती थी| जिनसे बड़ी कठिनाई से भारत सरकार के ही एक सिख पुलिस अधिकारी ने बड़े प्रेम से बड़ी मुश्किल से संपर्क किया था जो कई वर्षों में सफल हुआ| मैं चालीस वर्ष पूर्व उस अधिकारी से पोर्ट ब्लेयर में मिला भी था| अब वे जरावा जनजाति के लोग धीरे धीरे समाज के संपर्क में आ रहे हैं| जरावा जनजाति कभी बड़ी संख्या में थी| वे लोगों से मिलते जुलते भी थे| ब्रिटिश शासन के समय की बात है| एक दूधनाथ तिवारी नाम के भारतीय बंदी की मित्रता उनकी एक महिला से हो गयी और वह उसके साथ रहने भी लगा| जरावा जनजाति अंडमान पर ब्रिटिश अधिकार से बड़ी त्रस्त थी| एक बार उन्होंने योजना बनाई कि रात के समय धावा बोलकर सभी अंग्रेजों को मार देंगे| उनके पास सिर्फ तीर-कमान ही होते थे| दूधनाथ ने गद्दारी की और अँगरेज़ अधिकारियों को सारी बात बता दी| रात के समय जब जरावा जनजाति ने अपने नुकीले तीरों से हमला किया तब अँगरेज़ अधिकारी सतर्क थे और उन्होंने बंदूकों से फायर कर के सैंकड़ों जरावा लोगों को मार डाला| बचे-खुचे जरावा लोग एक दुर्गम क्षेत्र में चले गए और बाहरी विश्व से अपने सम्बन्ध तोड़ लिए|
२२ नवम्बर २०१८
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